कोरबा/हरदीबाज़ार, 04 दिसंबर 2025हरदीबाज़ार में चल रहे अधिग्रहण विवाद के बीच आज माहौल तब और गरम हो गया, जब ग्राम समिति के नेतृत्व में बड़ी संख्या में ग्रामीण—खासकर महिलाएँ—हाथों में लाठी-डंडे और झाड़ू लेकर दो किलोमीटर पैदल मार्च करते हुए तहसील कार्यालय पहुंचीं।
महिलाओं का यह ‘लाठी-डंडा प्रदर्शन’ तहसील परिसर में चर्चा का सबसे बड़ा विषय बना रहा।ग्रामीणों ने तहसीलदार के माध्यम से कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा, जिसमें मांग की गई है कि एसईसीएल द्वारा ग्राम में की जा रही सर्वे नापी और ड्रोन सर्वे को तत्काल प्रभाव से रोका जाए। ग्रामीणों का आरोप – प्रशासन और एसईसीएल मिलकर जबरदस्ती कर रहे सर्वे।ग्रामीणों ने ज्ञापन में लिखा है कि हरदीबाज़ार ग्राम का 2004, 2010 और अब 2025 में फिर से अधिग्रहण किया जा रहा है, लेकिन तीनों ही अधिग्रहणों में ग्रामवासियों और एसईसीएल के बीच कोई समझौता नहीं हो पाया।
लोगों का कहना है कि बिना सहमति, प्रशासन के सहयोग से एसईसीएल जबरदस्ती सर्वे करा रहा है। यह पूरी तरह अनुचित और ग्रामवासियों के अधिकारों का हनन है।”ग्रामीणों ने मांग की है कि जब तक ग्रामसभा और ग्रामवासियों की सहमति नहीं बनती, तब तक हर प्रकार के सर्वे व ड्रोन उड़ान पर रोक लगाई जाए।
आज की कार्रवाई में महिलाओं की संख्या सबसे अधिक थी।लाठी-डंडे और झाड़ू लेकर नारेबाज़ी करते हुए महिलाएं अनिश्चितकालीन हड़ताल स्थल से निकलकर तहसील कार्यालय पहुंचीं और जमकर विरोध दर्ज कराया।यह विरोध प्रदर्शन पूरे क्षेत्र में संदेश दे गया कि हरदीबाज़ार के ग्रामीण अधिग्रहण के खिलाफ अब और सख्त रुख अपनाने के मूड में हैं।
कलेक्टर के नाम सौंपा ज्ञापन में ग्रामीणों ने स्पष्ट लिखा है कि ड्रोन सर्वे नापी बंद हो,जब तक ग्रामवासियों के साथ सहमति नहीं बनती, कोई प्रक्रिया आगे न बढ़ाई जाएअधिग्रहण से जुड़े सभी मुद्दों पर खुली ग्रामसभा में निर्णय लिया जाएज्ञापन पर ग्राम के सरपंच, जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में ग्रामीणों के हस्ताक्षर किए गए।
अचानक हुए इस उग्र विरोध ने प्रशासन को भी सतर्क कर दिया है। तहसील कार्यालय के बाहर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई। अधिकारी पूरे मामले का रिपोर्ट तैयार कर कलेक्टर को भेजने की तैयारी में हैं।
एसईसीएल प्रबंधन और ग्रामीणों के बीच वर्षों से चला आ रहा विवाद अब एक बार फिर बड़े संघर्ष का संकेत दे रहा है। ग्रामीणों ने साफ कर दिया है कि “बिना सहमति कोई अधिग्रहण नहीं!”आने वाले दिनों में यह मुद्दा हरदीबाज़ार और आसपास के क्षेत्रों में बड़ा राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बनने की संभावना है।

