दीपका (छत्तीसगढ़)।गोपाष्टमी के पावन अवसर पर आज झावर स्थित कामधेनु गौशाला में श्रद्धालुओं ने परंपरागत विधि से गौ माता एवं समस्त गोवंश की पूजा-अर्चना की।

सुबह से ही गौशाला परिसर में धार्मिक उत्साह का वातावरण रहा।, गौसेवकों और समाजसेवियों ने पहुंचकर गौ आराधना और सेवा कार्यों में सहभागिता निभाई।

पिछले 15 वर्षों से निरंतर गौसेवा और गौपूजा का कार्य कर रहे स्थानीय गौसेवक अरुणीश तिवारी ने इस अवसर पर कहा कि “गौसेवा केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत आवश्यक है। आज जिस तरह गौवंश की स्थिति दयनीय होती जा रही है, वह समाज के लिए चेतावनी है।”उन्होंने कहा कि दूध, दही, घी, मक्खन, पनीर, मट्ठा और छाछ जैसे उत्पादों का उपयोग हर धर्म और समुदाय के लोग करते हैं, इसलिए गाय का महत्व किसी एक धर्म तक सीमित नहीं है।“धार्मिक आस्था से अधिक इसे व्यावहारिक जीवन की आवश्यकता के रूप में देखा जाना चाहिए,” उन्होंने यह भी अपील की कि लोग कुत्तों या विदेशी पालतू जानवरों की बजाय गोवंश को अपनाने की परंपरा को पुनर्जीवित करें।“जो लोग गौ सेवा के नाम पर दिखावा करते हैं, उन्हें समझना चाहिए कि यह धर्म का नहीं, मानवता और पर्यावरण संरक्षण का प्रश्न है,

कार्यक्रम में गौ आरती, पुष्पांजलि और गौ ग्रास वितरण के बाद सामूहिक संकल्प लिया गया कि सभी लोग अपने-अपने क्षेत्र में गौ संरक्षण और संवर्धन के लिए सक्रिय भूमिका निभाएंगे।

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