


हरदीबाजार // कोरबा एसईसीएल दीपका प्रबंधन की तानाशाही और जिला प्रशासन द्वारा जबरन मकानों की नापी-सर्वे कराने के विरोध में आज हरदीबाजार में जनसैलाब उमड़ पड़ा।
ग्राम पंचायत हरदीबाजार के ग्रामीणों ने शुक्रवार दोपहर 2 बजे कालेज चौक से विशाल जनजागरण रैली निकालकर पूरे इलाके को हिला दिया।रैली कालेज चौक से होते हुए पुराना दीपका रोड, शांतिनगर, शिक्षक नगर, उतरदा रोड, गांधी नगर, मेन रोड, बस स्टैंड और अस्पताल मोहल्ले तक निकाली गई।
पूरे रास्ते ग्रामीणों ने “एसईसीएल होश में आओ”, “जबरन नापी सर्वे बंद करो”, “अधिकार दो, अन्याय रोको” जैसे गगनभेदी नारे लगाए।ग्रामवासियों ने कहा कि “हम अपने अधिकारों से समझौता नहीं करेंगे। जब तक हमारी सभी मांगों पर लिखित सहमति नहीं मिलती, तब तक कोई सर्वे नहीं होने देंगे।
ग्रामीणों का आरोप है कि एसईसीएल दीपका प्रबंधन और जिला प्रशासन बिना सहमति और सूचना के जबरन मकानों की नापी कर रहे हैं। 26 अगस्त 2024 को हुआ ड्रोन सर्वे भी पूरी तरह अमान्य बताते हुए लोगों ने इसे निजता का हनन करार दिया।
ग्रामीणों की प्रमुख मांगें है कि बसाहट स्थल उतरदा जयंती नगर की बजाय बाईपास के समीप उचित स्थान पर दी जाए। 2004 से 2010 के बीच जन्मे बच्चों को नौकरी की पात्रता सूची में शामिल किया जाए। पत्रक 5-6 का शीघ्र मिलान कर सत्यापित प्रति दी जाए। 2004-2010 अधिग्रहण में नौकरी, मुआवजा, बसाहट आदि के संपूर्ण लाभ पहले दिए जाएं, तभी 2022 अधिग्रहण लागू किया जाए। राज्य सरकार द्वारा रजिस्टर्ड जमीनों के मकानों को 100% मुआवजा व सोलशियम सहित भुगतान किया जाए।ड्रोन सर्वे बंद किया जाए और बिना सहमति कोई भी नापी-सर्वे न हो।
ग्रामीणों ने स्पष्ट चेतावनी दी कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं, तब तक एसईसीएल प्रबंधन का कोई भी सर्वे कार्य नहीं होने दिया जाएगा।
इस जनजागरण रैली में सरपंच लोकेश्वर कंवर, पूर्व विधायक पुरुषोत्तम कंवर, विधायक प्रतिनिधि नरेश टंडन, उपसरपंच रेखा जायसवाल, भाजपा जिला मंत्री अजय दुबे, पूर्व सरपंच युवराज सिंह कंवर, राजेश जायसवाल, राजेन्द्र जगत, संसद प्रतिनिधि दिलीप राठौर, विरेंद्र राठौर, संतोष श्रीवास, मनमोहन खांडे, ममता ओग्रे, राजाराम राठौर सहित सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे।
रैली के दौरान एसईसीएल दीपका प्रबंधन के खिलाफ जबरदस्त नारेबाजी की गई और लोगों ने चेतावनी दी अगर हमारी बात नहीं सुनी गई, तो आने वाले दिनों में आंदोलन और उग्र होगा।
हरदीबाजार की यह रैली अब ग्रामीण संघर्ष का प्रतीक बन गई है — जिसने एसईसीएल की मनमानी के खिलाफ एकजुटता की नई मिसाल पेश की है।


