दीपका/कोरबा, 20 अक्टूबर 2025।एसईसीएल दीपका क्षेत्र में एक और विवाद ने जोर पकड़ लिया है। इस बार मामला है — आवास आवंटन में कथित गड़बड़ी का। सूत्रों के अनुसार, दीपका क्षेत्र के आवासीय परिसर, जो केवल एसईसीएल कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए आरक्षित हैं, वहाँ ऐसे कई लोगों को मकान आवंटित किए गए हैं जिनका एसईसीएल से कोई सीधा या परोक्ष संबंध ही नहीं है।

मिली जानकारी के अनुसार, आवासों में प्रबंधन से जुड़े कुछ प्रभावशाली लोग , सांसद,विधायक प्रतिनिधि, बाहरी शिक्षक, और पूर्व ठेकेदार, निजी स्कूल के प्रिंसिपल जिन्हें फिलहाल कोई वैध अनुबंध भी नहीं मिला है, आराम से रह रहे हैं।

सूत्रों ने दावा किया है कि इन लोगों को “प्रबंधन की अनुशंसा और मौन स्वीकृति” से आवास मुहैया कराया गया है, जबकि उसी समय एसईसीएल के वास्तविक कर्मचारियों को आवास के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ रही है।

इस पूरे मामले की पुष्टि सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी से हुई। जब यह मामला सार्वजनिक हुआ, तो प्रबंधन की ओर से दिए गए आधिकारिक जवाब ने और सवाल खड़े कर दिए। प्रबंधन ने RTI के जवाब में स्वीकार किया है कि विभागीय सूची से बाहर के 39 लोगों को आवास आवंटित किए गए हैं, जबकि 37 आवासों पर अनधिकृत रूप से कब्जा होने की बात भी सामने आई है।

अब सवाल उठ रहे हैं — क्या ये आवास नियमों के विपरीत प्रभावशाली लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए आवंटित किए गए हैं?अगर अनधिकृत कब्जे की जानकारी खुद प्रबंधन को है, तो अब तक कार्यवाही क्यों नहीं की गई? क्या यह “सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग” की श्रेणी में नहीं आता?

स्थानीय कर्मचारी संगठनों ने इसे “सुविधा आधारित आवंटन घोटाला” करार दिया है और कहा है कि यदि जल्द जांच नहीं की गई, तो वे मुख्यालय स्तर पर शिकायत दर्ज कराएंगे। उनका कहना है कि “जो आवास मजदूरों और अधिकारियों के लिए बने हैं, उन्हें बाहरी प्रभावशाली लोगों को देना एसईसीएल की नीतियों का खुला उल्लंघन है।

”कर्मचारी प्रतिनिधियों का यह भी कहना है कि दीपका क्षेत्र में पहले ही आवासों की भारी कमी है — कई कर्मचारी वर्षों से प्रतीक्षा सूची में हैं, जबकि दूसरी ओर “गैर-एसईसीएल” व्यक्ति क्वार्टरों में रहकर सभी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं।

अब यह देखना बाकी है कि क्या एसईसीएल प्रबंधन इस मामले में आंतरिक जांच बिठाएगा, या फिर यह मामला भी “जैसे-तैसे दबाने” की श्रेणी में चला जाएगा।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों और श्रमिक संगठनों ने मांग की है कि:सभी गैर-एसईसीएल व्यक्तियों से तत्काल आवास खाली कराया जाए।अनधिकृत कब्जों की सूची सार्वजनिक की जाए।जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आवास आबंटन में एक तय सुविधा शुल्क का भी रिवाज जारी है।जनता और कर्मचारी दोनों की नज़र अब प्रबंधन के अगले कदम पर टिकी है। सवाल यह है — क्या दीपका में आवास नियमों से बड़ा हो गया है रसूख?

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