कोरबा
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 2 अगस्त 2025 को अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि आदर्श पुनर्वास नीति 1991 के तहत भूमि अधिग्रहण से प्रभावित प्रत्येक खाते को रोजगार और पुनर्वास का अधिकार है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि आदेश की प्रति प्रस्तुत करने की तारीख से 45 दिनों के भीतर इस पर कार्यवाही की जाए।

इसके बावजूद रोजगार उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में देरी पर ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति (UBKKS) ने नाराज़गी जाहिर की है। समिति के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने कहा कि रोजगार से जुड़े इस महत्वपूर्ण आदेश को टालने से प्रभावित परिवारों में असंतोष बढ़ रहा है और अब आंदोलन की तैयारी की जा रही है।

नराईबोध स्थित भूविस्थापित भवन में आयोजित बैठक में निर्णय लिया गया कि –

राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सीएमडी समेत सभी संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन भेजा जाएगा।

एसईसीएल के 12 क्षेत्रों में चरणबद्ध प्रदर्शन कर मांगों को दोहराया जाएगा।

यदि शीघ्र सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो बड़े पैमाने पर आंदोलन किया जाएगा।

माननीय न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि –

पुनर्वास नीति के अनुसार भूमि खोने वालों का रोजगार पाने का अधिकार महत्वपूर्ण है।

नीति में बाद में हुए संशोधनों से पहले से अर्जित अधिकार समाप्त नहीं होंगे।

रोजगार से वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन होगा।

यह आदेश छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश, दोनों राज्यों के एसईसीएल क्षेत्रों पर लागू होता है। हजारों प्रभावित परिवार इस आदेश के अनुपालन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। समिति का कहना है कि यदि समयसीमा में ठोस कदम नहीं उठे तो आंदोलन तेज़ किया जाएगा।

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