कोरबा।दीपका परियोजना के अंतर्गत अधिग्रहित ग्राम हरदीबाजार के ग्रामीणों ने अपनी प्रमुख मांगों को लेकर बड़ा अल्टीमेटम जारी किया है। ग्राम पंचायत व ग्रामीणों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी सातों प्रमुख मांगों पर लिखित समझौता नहीं होता, तब तक किसी भी तरह का सर्वे या मकान तोड़ने की कार्यवाही नहीं होने दी जाएगी।
ग्रामीणों की प्रमुख मांगें:1. पुनर्वास स्थल पर पूरी सुविधाएँ – नाली, पानी, बिजली, सड़क, हाट-बाजार, खेल मैदान और सभी विभागों के दफ्तर उपलब्ध कराए जाएँ।
2. नौकरी की गारंटी – हाईकोर्ट बिलासपुर के आदेश के मुताबिक हर प्रभावित परिवार को SECL दीपका परियोजना में नौकरी दी जाए।
3. 100% मुआवजा – 2004 व 2010 में किए गए नामांतरण/प्रमाणीकरण वाले ज़मीन मालिकों को उनकी ज़मीन व मकान का 100% मुआवजा दिया जाए।
4. सर्वे के साथ ही मुआवजा – मकानों और संपत्तियों की नापी के समय ही मुआवजा राशि और मालिकाना हक़ का पट्टा सौंपा जाए।
5. सरकारी आदेश का पालन – मकान तोड़ने से पहले एकमुश्त मुआवजा देना अनिवार्य किया जाए।
6. अनुसूचित क्षेत्र का अधिकार – पेसा एक्ट के तहत अधिग्रहण और पुनर्वास की प्रक्रिया ग्राम पंचायत व ग्रामसभा की सहमति से ही हो।
7. रोज़गार की व्यवस्था – मकान तोड़े जाने वाले दिन ही प्रभावित परिवारों को मुआवजा देकर स्थानीय बेरोजगारों को निजी कंपनियों में तत्काल नौकरी दिलाई जाए।
ग्रामवासी साफ बोल रहे हैं कि –“अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं और जबरन सर्वे किया गया तो इसकी पूरी ज़िम्मेदारी प्रशासन और SECL प्रबंधन की होगी।”ग्रामीणों ने लिखित समझौते की मांग करते हुए कहा है कि सर्वे और मुआवजा प्रक्रिया बिना सहमति व सुरक्षा गारंटी के आगे नहीं बढ़ेगी।