कोरबा।SECL के मेगा प्रोजेक्ट्स में शुमार दीपका क्षेत्र इन दिनों चर्चा में है। कोयला उत्पादन में अग्रणी माने जाने वाले इस प्रोजेक्ट को लेकर अब मज़दूरों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए जा रहे हैं।सूत्रों और मज़दूर संगठनों के अनुसार, पिछले 6–7 महीनों से सुरक्षा से जुड़े प्रावधानों का पालन ठीक से नहीं हो रहा है। आउटसोर्सिंग कंपनियों के तहत रोज़ाना सैकड़ों ठेका मज़दूर—कोयला लोडिंग प्वाइंट, ब्लास्टिंग सेक्शन, एक्सवेशन, विद्युत एवं यांत्रिकी विभाग और सिविल कार्य—में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। इन मज़दूरों का कहना है कि उन्हें सुरक्षा उपकरण और संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।

स्थानीय प्रतिनिधियों ने भी चिंता जताते हुए कहा है कि सुरक्षा पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च होने का दावा किया जाता है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर इसकी तस्वीर संतोषजनक नहीं दिखती। मज़दूरों का आरोप है कि उन्हें औपचारिक उपकरण देकर खान क्षेत्र में भेजा जाता है, जिससे रोज़ाना जान जोखिम में रहती है।

मज़दूर संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि हालात ऐसे ही बने रहे तो दीपका क्षेत्र में कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है। उनका कहना है कि सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत बनाने की आवश्यकता है।

स्थानीय स्तर पर यह मांग की जा रही है कि दीपका क्षेत्र में कोल इंडिया के तय सुरक्षा मानकों की समीक्षा और जाँच कराई जाए। साथ ही यह भी सवाल उठाया जा रहा है कि जब सुरक्षा पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, तो फिर आवश्यक संसाधन मज़दूरों तक समय पर क्यों नहीं पहुँच रहे हैं।

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