छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप मिरी के खिलाफ कोरबा कलेक्टर द्वारा 10 जिलों से जिला बदर की कार्रवाई को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद दिलीप मिरी 2 सितंबर को दीपका से कुसमुंडा होते हुए कोरबा पहुंचेंगे, जहां उनका भव्य स्वागत किया जाएगा। छत्तीसगढ़ के लोगों के हक और अधिकारों के लिए लगातार आवाज उठाने वाले दिलीप मिरी का यह संघर्ष एक बार फिर सुर्खियों में है।दिलीप मिरी छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के एक प्रमुख चेहरा हैं, जिन्होंने छत्तीसगढ़ के स्थानीय लोगों की संस्कृति, भाषा, और अधिकारों की रक्षा के लिए अनवरत संघर्ष किया है। उन्होंने कई बार अपने प्रदर्शनों और आंदोलनों के जरिए शांति भंग होने की स्थिति पैदा होने के बावजूद छत्तीसगढ़ियों के हक के लिए आवाज उठाई। मिरी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वे न केवल कोरबा बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में अपनी निर्भीकता और समर्पण के लिए जाने जाते हैं।जेल की सजा भी नहीं डिगा सकी हौसलादिलीप मिरी ने छत्तीसगढ़िया हक और अधिकारों के लिए कई बार जेल की सजा भी काटी है। बस्तर जेल जैसी कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने अपने इरादों को कमजोर नहीं होने दिया। बलौदाबाजार आगजनी केस में उनकी गिरफ्तारी और 14 नवंबर 2024 को कोरबा कलेक्टर द्वारा जिला बदर का आदेश इसका उदाहरण है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले ने उनके संघर्ष को और मजबूती दी है।कोरबा कलेक्टर द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 के तहत दिलीप मिरी को 10 जिलों (कोरबा, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, सक्ती, रायगढ़, सरगुजा, सूरजपुर, मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, गौरला-पेण्ड्रा-मरवाही) से एक वर्ष के लिए जिला बदर करने का आदेश जारी किया गया था। इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया, जिसे छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना और उनके समर्थकों ने सत्य और न्याय की जीत के रूप में देखा2 सितंबर को कोरबा में भव्य स्वागतसुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद दिलीप मिरी 2 सितंबर को कोरबा लौट रहे हैं। दीपका से कुसमुंडा होते हुए कोरबा तक उनके स्वागत के लिए भव्य आयोजन की तैयारी है। छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना गैर राजनीतिक संगठन के कार्यकर्ता और समर्थक इस मौके को उत्सव के रूप में मना रहे हैं। जगह-जगह स्वागत समारोह आयोजित किए जाएंगे, जिसमें हजारों लोग शामिल होने की उम्मीद है।छत्तीसगढ़िया अस्मिता की लड़ाईदिलीप मिरी और छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना लंबे समय से छत्तीसगढ़ की भाषा, संस्कृति, और स्थानीय लोगों के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए संघर्षरत हैं। संगठन ने कई बार सड़क पर उतरकर और विरोध प्रदर्शनों के जरिए छत्तीसगढ़ियों के हक की आवाज बुलंद की है। मिरी का कहना है कि उनकी लड़ाई छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों के सम्मान और उनके अधिकारों के लिए है, और यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक छत्तीसगढ़ियों को उनका हक नहीं मिल जाता।लोगों में उत्साह, समर्थन में इजाफासुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना और दिलीप मिरी के समर्थकों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर भी लोग उनके संघर्ष की सराहना कर रहे हैं। कई लोग इसे छत्तीसगढ़िया अस्मिता की जीत के रूप में देख रहे हैं। मिरी के समर्थक उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में देखते हैं जो बिना डरे सत्ता और व्यवस्था से टकराने का साहस रखता है।आगे की राहदिलीप मिरी ने कहा कि यह फैसला न केवल उनकी व्यक्तिगत जीत है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ के उन लाखों लोगों की जीत है जो अपने हक और अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने भविष्य में भी छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना गैर राजनीतिक संगठन के बैनर तले आंदोलन को और तेज करने का संकल्प लिया है।2 सितंबर को कोरबा में होने वाला उनका स्वागत समारोह न केवल एक आयोजन होगा, बल्कि छत्तीसगढ़िया अस्मिता और अधिकारों की लड़ाई का एक नया अध्याय शुरू करेगा।

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