दीपका, 30जून 2025:केंद्रीय कोयला राज्य मंत्री के संभावित दौरे से पहले एसईसीएल दीपका प्रबंधन की लीपापोती का खबर कोयलांचल इन ने प्रमुखता से छापा था जिसके बाद भांडाफोड़ होते ही विभाग में हड़कंप मच गया है। जर्जर दीवारों की पुताई और सतही सौंदर्यीकरण को लेकर उठे सवालों के बाद, अब प्रबंधन ने दिखावे की रणनीति बदल दी है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, सड़क किनारे लगाए गए बड़े-बड़े पर्दों को आनन-फानन में हटाया जा रहा है, क्योंकि यह दिखावटी प्रयास स्थानीय मीडिया और लोगों की निगाह में आ चुके हैं। पर्दों की जगह अब करीब 1500 झंडे लगाने की तैयारी की जा रही है, ताकि मंत्री के दौरे को “राष्ट्रभक्ति और स्वागत भाव” की आड़ में पेश किया जा सके।

जानकार सूत्रों का कहना है कि –”जिन परदों से दीवारों की हकीकत छिपाने की कोशिश हो रही थी, अब उनकी जगह झंडे लगाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं पूर्व अधिकारी डीपी यादव भी इन पर्दों की चपेट में आने से घायल हो गए है ।

अब सवाल यह उठता है कि लगाए गए पर्दों का पेमेंट ठेकेदार द्वारा लिया जाएगा और झंडो का खर्च अलग से, आखिर इस वित्तीय नुकसान का जिम्मेदार कौन?

प्रबंधन केवल ‘दिखाने’ में व्यस्त है, न कि ‘सुधार’ में।”इस बीच, कुछ दिन पहले गेवरा खदान में केंद्रीय कोयला मंत्री किशन रेड्डी का सादगीपूर्ण दौरा लोगों को अभी भी याद है। किशन रेड्डी ने बिना किसी तामझाम के क्षेत्र का निरीक्षण किया और वास्तविक समस्याओं को प्राथमिकता दी। उनकी कार्यशैली ने साबित किया कि प्रभावशाली नेतृत्व दिखावे से नहीं, ज़मीन से जुड़ाव से तय होता है।विपरीत रूप से, दीपका में झंडों, पुताई और साज-सज्जा पर खर्च हो रहे लाखों रुपए, आमजन के बीच विकास और पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं। खासकर तब, जब आसपास के गांवों और स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं।

ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से सवाल किया है कि –”क्या मंत्री को वही दिखाया जाएगा जो छिपाना चाह रहे हैं? या उन्हें असली समस्याओं से भी अवगत कराया जाएगा?” अब दौरे पर निगाहें टिकी हैं, कि क्या मंत्री इस कृत्रिम चमक-दमक के परे जाकर क्षेत्र की असली तस्वीर देखेंगे, या यह दौरा भी केवल एक “दिखावटी आयोजन” बनकर रह जाएगा।

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