Shaji Thomas
कोरबा :विश्व की दूसरी सबसे बड़ी कोयला खदानों में शुमार एसईसीएल के गेवरा प्रोजेक्ट में काम करने वाले श्रमिक बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। संयुक्त केन्द्रीय श्रमिक संगठन के जे.सी.सी. सदस्यों ने महाप्रबंधक को पत्र लिखकर 20 सूत्रीय लंबित मुद्दों पर कार्रवाई की माँग की है, जिन पर वर्षों से सिर्फ आश्वासन मिल रहा है लेकिन कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जा रही।
श्रमिकों की सबसे बड़ी चिंता गर्मी के मौसम में शुद्ध एवं ठंडे पीने के पानी की है। संगठन के अनुसार, माइन क्षेत्र में एमटीके, पार्किंग और अन्य कार्य स्थलों पर आज तक पानी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गई है। न केवल माइन बल्कि गेवरा कॉलोनी में भी पानी की दैनिक आपूर्ति नहीं हो रही। बहानेबाजी चरम पर है—कभी तालाब सूखने की बात कही जाती है, कभी पाइप टूटने या ट्रांसफॉर्मर जलने की।
गेवरा जैसी विश्व स्तरीय खदान में कर्मचारी पानी के लिए तरस रहे हैं यह दुर्भाग्यपूर्ण है।इसके साथ ही कर्मचारियों को गर्मी से राहत के लिए फरवरी-मार्च 2024 में मिलने वाली वाटल और टॉवेल आज तक नहीं मिल पाए हैं।
श्रमिकों का आरोप है कि जब लाखों रुपए के लड्डू एक रात में खरीदे जा सकते हैं, तो कर्मचारियों की मूलभूत ज़रूरतें क्यों नज़रअंदाज़ की जा रही हैं?
ठेके पर काम कर रहे श्रमिकों से 12-12 घंटे ड्यूटी कराई जा रही है। उन्हें न तो पर्याप्त मेडिकल सुविधा दी जा रही है और न ही HPC की भुगतान की जा रही है। IME (Initial Medical Examination) का भी कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है।
वहीं दूसरी ओर, प्रबंधन ठेकेदारों को समय पर बिल का भुगतान कर रहा है लेकिन मजदूरों के हितों को नज़रअंदाज़ कर रहा है।कर्मचारियों में बढ़ता आक्रोशप्रबंधन के इस रवैये से कर्मचारियों में गहरा असंतोष व्याप्त है।
श्रमिक संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो वे व्यापक आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।