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सृष्टिधर तिवारी

आपसी आंतरिक खींचातानी, हम नहीं तो कोई और नहीं।

दीपका नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन उम्मीदों के विपरीत रहा। भाजपा ने अध्यक्ष पद पर बड़ी जीत दर्ज की, जबकि वार्ड स्तर पर भी कांग्रेस को कई जगहों पर हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के जीते हुए पार्षद भी पार्टी के समग्र प्रदर्शन से निराश नजर आ रहे हैं, जबकि हारे हुए प्रत्याशियों के लिए आत्ममंथन जरूरी हो गया है।

कमजोर जमीनी संगठन और ढीली चुनावी रणनीति।

मतगणना के दौरान कांग्रेस किसी भी बूथ पर निर्णायक बढ़त नहीं बना सकी। यह पार्टी के कमजोर जमीनी संगठन और प्रभावहीन चुनावी रणनीति की ओर इशारा करता है। बीते चुनावों में भूषण कंवर, तनवीर अहमद और अब विशाल शुक्ला की हार यह दर्शाती है कि कांग्रेस लगातार किसी न किसी रणनीतिक चूक का शिकार हो रही है।

भाजपा की मजबूती और कांग्रेस की गिरती पकड़

भाजपा ने इस चुनाव में संगठन की ताकत और जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़ का फायदा उठाया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रभावी प्रचार अभियान, बूथ प्रबंधन और मतदाताओं तक सीधी पहुंच बनाकर कांग्रेस को पीछे धकेल दिया। दूसरी ओर, कांग्रेस अपने पारंपरिक मतदाताओं को भी पूरी तरह लामबंद करने में नाकाम रही।

कांग्रेस के लिए आगे की राह, बदलनी होगी रणनीति।

अब कांग्रेस को अपनी राजनीतिक रणनीति में बड़े बदलाव करने होंगे।संगठन को जमीनी स्तर पर पुनर्गठित करना होगा ताकि कार्यकर्ताओं में जोश भरा जा सके।जनता के मुद्दों पर लगातार सक्रियता दिखानी होगी, ताकि विश्वसनीयता बनी रहे।स्थानीय नेतृत्व को अधिक स्वतंत्रता और जिम्मेदारी देने की जरूरत है, ताकि चुनाव के दौरान कार्यकर्ताओं में समन्वय बना रहे।

प्रभावी चुनाव प्रचार और बूथ प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना होगा।अगर कांग्रेस समय रहते इन बिंदुओं पर ध्यान नहीं देती, तो आने वाले चुनावों में उसे और भी कठिन हालात का सामना करना पड़ सकता है। पार्टी को अब आत्ममंथन के साथ-साथ ठोस कार्ययोजना बनाकर आगे बढ़ने की जरूरत है।

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