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प्रयागराज/कोरबा। महाकुंभ 2025 में जहां लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे वहीं एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। कोरबा का एक वकील जो परिवार सहित मेले में पहुंचा था उसने हार्ट अटैक आने पर खुद को कोरबा जिले का एडीएम (अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट) बताकर अस्पताल में वीआईपी इलाज ले लिया।
घटना का खुलासा तब हुआ जब अखबारों में इस खबर के प्रकाशित होने के बाद कोरबा जिला प्रशासन ने दावा किया कि जिले में “विक्रम सिंह जायसवाल” नाम का कोई एडीएम नहीं है। कलेक्टर अजीत वसंत ने साफ किया कि इस नाम का कोई भी अधिकारी कोरबा में पदस्थ नहीं है। अधिवक्ता संघ ने भी उस व्यक्ति को अपना पंजीकृत सदस्य मानने से इंकार कर दिया।
वकील प्रयागराज के महाकुंभ में अपने परिवार के साथ घूमने आया था। मेले के दौरान उसे हार्ट अटैक आया और उसे आपातकालीन अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां उसने खुद को एडीएम बताकर वीआईपी ट्रीटमेंट लिया। घटना के बाद जब मामला सार्वजनिक हुआ तो जिला प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी।
महाकुंभ में पहले दिन ही 7 श्रद्धालुओं को हार्ट अटैक आया था। सभी मरीजों को मेले में बने आपातकालीन अस्पताल में भर्ती किया गया। केंद्रीय चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक मनोज कौशिक ने बताया कि मेला क्षेत्र में अब तक 42 हार्ट अटैक के मरीज आ चुके हैं। इनमें से दो को रेफर किया गया, जबकि बाकी सभी का इलाज मेला क्षेत्र में ही सफलतापूर्वक किया गया।
कोरबा प्रशासन ने इस फर्जीवाड़े की जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि ऐसे झूठे दावे करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।महाकुंभ में हुई इस घटना ने न केवल स्थानीय प्रशासन को सतर्क कर दिया है, बल्कि इसने वीआईपी सुविधाओं के दुरुपयोग पर भी सवाल खड़े किए हैं।