शाजी थामस
दीपका। सेंट थॉमस स्कूल के सामने शाम ढलते ही पकौड़े और मोमोज की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ उमड़ने लगती है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे युवा यहां अपने हाथों से अपनी तकदीर बदल रहे हैं।
प्रिंस अनंत: पढ़ाई के साथ रोजगार और परिवार का रखते हैं ख्याल।
19 वर्षीय प्रिंस अनंत, जो बीकॉम के छात्र हैं, शाम को पकोड़े बेचते हैं। उन्होंने बताया कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उन्होंने पढ़ाई के साथ यह काम शुरू किया। अब यह ठेला उनकी पढ़ाई और परिवार की आर्थिक मदद का जरिया बन गया है।

कान्हा वर्मा: दिल्ली से दीपिका तक का सफर।
राजनांदगांव के कान्हा वर्मा ने दिल्ली में मोमोज बनाने का हुनर सीखा और दीपिका में “वाह मोमो” नाम से दुकान शुरू की। उनकी दुकान पर दिल्ली के स्वाद का आनंद लिया जा सकता है। कान्हा का कहना है कि मेहनत और लगन से उन्होंने अपने लिए एक स्थायी रोजगार बनाया है।ये युवा अपनी मेहनत और हुनर से बेरोजगारी को मात देकर दूसरों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं।