शाजी थामस
दीपका नगर पालिका परिषद में राज्य सरकार की घर-घर शुद्ध पेयजल पहुंचाने की जल आवर्धन योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए हैं। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत 9 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि में से 7 करोड़ रुपये का भुगतान कार्य एजेंसी मल्टी अर्बन कंपनी नागपुर को किया जा चुका है।
स्थानीय निवासियों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जिन क्षेत्रों में पाइपलाइन बिछाने और जल कनेक्शन देने का दावा किया गया है, वहां कार्य अधूरा है। कई स्थानों पर पाइपलाइन नहीं बिछाई गई, और फर्जी माप पुस्तिका व बिलों के आधार पर करोड़ों का भुगतान कर दिया गया।
जांच शुरू, भौतिक सत्यापन की तैयारी।
बिलासपुर संयुक्त संचालक ने इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है। 16 मेजरमेंट बुक और संबंधित फाइलें जांच के लिए नगर पालिका दीपका में नास्ति बंद करा दी गई है। जिनके माध्यम से संबंधित एजेंसी को लाभ पहुंचाया गया है।
प्रारंभिक जांच के बाद संबंधित क्षेत्रों का भौतिक सत्यापन किया जाएगा।दोषियों पर कार्रवाई की संभावना
यदि जांच में गड़बड़ियों की पुष्टि होती है, तो कार्य एजेंसी मल्टी अर्बन कंपनी नागपुर और नगर पालिका के इंजीनियर समेत तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी पर विभागीय कार्रवाई तय मानी जा रही है। इंजीनियर पर फर्जी माप पुस्तिका भरने और बिल पास करने के आरोप हैं।
भाजपा सरकार का भ्रष्टाचार पर सख्त रुख।
प्रदेश में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचार के मामलों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। यदि जल आवर्धन योजना में अनियमितताएं सिद्ध होती हैं, तो यह दीपका नगर पालिका के लिए एक बड़ा झटका होगा।इस घटना ने प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जांच की प्रगति पर स्थानीय जनता और प्रदेश सरकार की पैनी नजर है।