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शाजी थामस

कोरबा/दीपका/दीपिका नगर पालिका परिषद में राज्य सरकार द्वारा घर-घर शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए लागू की गई जल आवर्धन योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किए जाने की संभावना हैं। इस योजना के तहत लगभग 9 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी, जिसमें से लगभग 7 करोड़ रुपये का भुगतान संबंधित कार्य एजेंसी को किया जा चुका है।

स्थानीय निवासियों की माने तो योजना का लाभ अब तक उन्हें नहीं मिल पाया है।सूत्रों की माने तो जिन स्थानों पर पाइपलाइन बिछाने का काम दर्शाया गया है और कनेक्शन देने का दावा किया गया है, वहां वास्तव में कोई काम नहीं हुआ है। मौके पर पाइप लाइन ही नहीं बिछी है।फर्जी माप पुस्तिका और बिलों के माध्यम से भारी भुगतान कर दिया गया।

प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आएगा कि फौरी तौर पर दस्तावेज़ों में 80% से अधिक कार्य पूर्ण दिखाया गया है, जबकि धरातल पर स्थिति बिल्कुल विपरीत है।

यह योजना तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी के कार्यकाल में शुरू की गई थी और अधिकतर कार्यों का निष्पादन एवं भुगतान उन्हीं के कार्यकाल में हुआ। अब सवाल उठ रहा है कि भुगतान की प्रक्रिया और कार्यों की प्रामाणिकता की जांच क्यों नहीं की गई नगर पालिका परिषद दीपिका के विभिन्न वार्डों के नागरिकों का कहना है कि आज तक योजना के तहत शुद्ध पेयजल की आपूर्ति शुरू नहीं हो पाई है। घरों में पानी पहुंचाने के नाम पर केवल कागजी कार्रवाई हुई है, जबकि जमीनी हकीकत में काम अधूरा है।

स्थानीय रहवासी की माने तो अगर निष्पक्ष जांच कराई जाए, तो इस घोटाले में शामिल सभी अधिकारी और एजेंसियां बेनकाब हो जाएंगी।

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, जल्द ही एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की जा सकती है। यदि जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो संबंधित अधिकारियों और एजेंसी पर कड़ी कार्रवाई की संभावना है।

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