शाजी थामस
बिलासपुर: सरकंडा थाना प्रभारी तोप सिंह नवरंग और उनके आरक्षकों द्वारा जगदलपुर के नायब तहसीलदार पुष्पराज मिश्रा के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। घटना के विरोध में छत्तीसगढ़ के सभी तहसीलदार एकजुट होकर बिलासपुर में कलेक्टर और आईजी से इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
रात पुलिस ने थाने में बिठा कर किया दुर्व्यवहार।
16 नवंबर 2024 को नायब तहसीलदार पुष्पराज मिश्रा अपने भाई और पिता के साथ बिलासपुर के सरकंडा इलाके में हनुमान मंदिर के पास पहुंचे थे। उसी दौरान सरकंडा थाना प्रभारी तोप सिंह नवरंग और उनके दो आरक्षकों ने उन्हें रोका और मारपीट की। तहसीलदार का आरोप है कि उन्हें पूरी रात थाने में बिठाया गया और दुर्व्यवहार किया गया। मामला बढ़ने पर अगले दिन उन्हें छोड़ा गया।
थाना प्रभारी तोप सिंह नवरंग को किया गया निलंबित ।
इस घटना के बाद पुष्पराज मिश्रा ने पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह और आईजी डॉक्टर संजीव शुक्ला से शिकायत दर्ज करवाई। मामले की गंभीरता को देखते हुए आईजी डॉक्टर संजीव शुक्ला ने थाना प्रभारी तोप सिंह नवरंग को निलंबित कर लाइन अटैच कर दिया। पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने इस मामले में जांच रिपोर्ट मांगी है। हालांकि, तहसीलदार संघ इस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है और बड़ी कार्रवाई की मांग कर रहा है।
तहसीलदार संघ का विरोध प्रदर्शन, निलंबित करने की मांग।
गुरुवार को छत्तीसगढ़ के तहसीलदारों ने बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण से मुलाकात की और घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की। उनका कहना है कि पुलिस की कार्रवाई पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा, उन्होंने आईजी डॉक्टर संजीव शुक्ला से भी मुलाकात कर सख्त कदम उठाने की मांग की है। तहसीलदार संघ ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे आगे की रणनीति पर विचार करेंगे।
ऑडियो,वीडियो फुटेज वायरल होने से बढ़ा मामला।
सरकंडा थाना का एक वीडियो फुटेज वायरल हुआ है, जिसमें थाना प्रभारी और उनके आरक्षक नायब तहसीलदार पुष्पराज मिश्रा और उनके परिवार के साथ दुर्व्यवहार करते दिख रहे हैं। इस वीडियो के सामने आने के बाद मामला और अधिक तूल पकड़ गया है और पुलिस बनाम तहसीलदार विवाद गहराता जा रहा है।
संघ का कहना है कि उन्हें कलेक्टर और आईजी से बड़ी कार्रवाई का आश्वासन मिला है। संघ ने यह भी कहा है कि जब तक दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती, वे अपना विरोध जारी रखेंगे।
यह घटना न केवल पुलिस और तहसीलदार संघ के बीच विवाद का कारण बन गई है, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं और कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर रही है।