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कोरबा : प्रतिबंधात्मक कार्यवाही के मामले में दर्ज की जाने वाली दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 151 में जमानत देने और नहीं देने को लेकर एक प्रकरण की अधिवक्ता ने नाराजगी जाहिर की। इसके बाद मामला प्रदर्शन तक जा पहुंचा और अधिवक्ताओं ने करीब एक घंटे तक प्रदर्शन कर जमानत देने में भेदभाव के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की। बाद में समस्या का निराकरण किया गया।

जानकारी के अनुसार कलेक्ट्रेट स्थित सिटी मजिस्ट्रेट सेवाराम दीवान के समक्ष न्यायालय में धारा-151 के पांच अलग-अलग प्रकरण आज प्रस्तुत किए गए थे। श्री दीवान ने अपने कक्ष में इन प्रकरणों में सुनवाई करते हुए एक पुराने प्रकरण तथा एक नए प्रकरण में 1-1 आरोपी को जमानत दे दिया जबकि तीन मामलों में जेल वारंट काट दिया गया जबकि ये प्रकरण बहुत ही मामूली थे। इसे लेकर जेल वारंट कटने वाले पक्ष की अधिवक्ता के द्वारा अपना विरोध दर्ज कराया गया कि न तो उसे सुना गया और न ही पक्षकार को प्रस्तुत होने का मौका मिला।

सिटी मजिस्ट्रेट के बाबू पर भी आरोप लगाये जाते रहे। इस तरह की कार्यशैली और विरोध की सूचना मिलते ही अन्य अधिवक्ता भी यहां एकत्र हो गए और करीब एक घंटे तक प्रदर्शन किया। अधिवक्ता संघ के जिलाध्यक्ष संजय जायसवाल ने बताया कि सिटी मजिस्ट्रेट से चर्चा उपरांत निराकरण करते हुए जेल वारंट वाले तीनों मामले में भी जमानत दे दी गई। श्री जायसवाल ने बताया कि धारा-151 में जेल वारंट काटने से पहले मामले की गंभीरता को समझना जरूरी है, हर किसी मामले में जेल वारंट काट देना उचित नहीं है।

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