एसईसीएल के कुसमुंडा क्षेत्र में सिविल अधिकारियों की उदासीनता से कॉलोनीवासी बेहद परेशान हैं। वजह है कॉलोनी परिसर में फैला हुआ कचरा। दीपावली से पूर्व जहां कॉलोनियों की साफ सफाई हो जाया करती थी वहीं अब दीपावली के बाद भी साफ सफाई नही हुई है। कुसमुंडा में छट पूजा भी बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लोग शाम और सुबह नदी किनारे पहुंच कर सूर्य की उपासना करते हैं। ऐसे में नदी तक पहुंचने वाले मार्ग पर भी कचरों का अंबार लगा हुई है, जिसे लेकर कॉलोनी वासियों में काफी नाराजगी देखी जा रही हैं। स्थानीय पार्षद अमरजीत सिंह ने एसईसीएल कुसमुंडा के सिविल विभाग के अधिकारियों को इस समस्या से कई बार अवगत कराया हैं बावजूद इसके साफ सफाई नही हुई है। इसके अलावा विकास नगर छट घाट पर भी कुसमुंडा प्रबंधन द्वारा इस वर्ष भी किसी तरह की कोई साफ सफाई नही की गई है, जबकि कॉलोनी परिसर के साथ-साथ कॉलोनी से लगे नदी किनारे के घाटो को साफ सुथरा करने की जिम्मेदारी ग्लोबल टेंडर में सम्मिलित है,जिसका भुगतान भी किया जाता है, बावजूद इसके प्रबंधन के सिविल विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान नही दे रहे है। फिलहाल छट पूजा और पुन्नी स्नान को देखते हुए पार्षद अमरजीत सिंह द्वारा अपने खर्चे पर छट घाट पर जेसीबी लगवा कर साफ सफाई करवाई जा रही है। वहीं आईबीपी प्लांट के पास अहिरन नदी जाने वाले मार्ग लक्ष्मण नाला पड़ता है जो आगे जाकर अहिरन नदी में ही मिलता है,जिस पर आने जाने ले लिए ३ से ४ की संख्या में बड़े बड़े सीमेंट के पाइप डालकर रपटा बनाया गया है,जो हर बरसात में बह जाता है, उसे भी पार्षद अमरजीत सिंह द्वारा अपने खर्च पर सुधार कर बनवाया गया है।
सूत्र बताते है की कुसमुंडा क्षेत्र में समुचित साफ सफाई व मरम्मत कार्य के लिए ग्लोबल टेंडर के तहत लगभग १२ करोड़ रुपए का ठेका हुआ है जिसे लगभग ५० प्रतिशत कम राशि टेंडर भरकर एक ठेकेदार ने काम लिया है, कम राशि में ठेका लेने की वजह से काम भी बहुत कम किया जा रहा है, वहीं काम नही करने के एवज में सिविल विभाग के अधिकारियों की जेब भी भरी जा रही है, जिस वजह से वे भी मौन हैं।
आपको बता दें विकास नगर कॉलोनी से निकले कचरे को संग्रहित करने के लिए एसईसीएल द्वारा लाखों रुपए खर्च कर वैशाली नगर में एक विभागीय एसएलआरएम सेंटर भी बनाया गया है,जिसमें वर्षो से ताला लगा हुआ है,विकास नगर कॉलोनी से निकले कचरे को जब कभी उठाया जाता है तो अक्सर इसी सेंटर के सामने फेंका जाता है, जिससे प्रदूषण फैलता है साथ ही खुले में बिखरे इन कचरों में से प्लास्टिक इत्यादि को खाकर गायों की भी मौत हो रही है।
एस ई सी एल ने आधे मूल्य पर ठेका देकर अपने विभाग का तो पैसा बचा लिया पर कर्मचारियों को कचरों के ढेर पर बैठा दिया हैं।
