कोरबा,17 नवम्बर 2025। भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जनजातीय गौरव सम्मान दिवस का आयोजन जिले में बड़े स्तर पर किया गया, लेकिन कार्यक्रम की तैयारियों में प्रशासनिक लापरवाही साफ दिखाई दी। राजीव गांधी ऑडिटोरियम परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम के लिए जिले के विभिन्न विकासखंडों से बड़ी संख्या में जनजातीय समुदाय के लोगों को बुलाया गया था। इसके लिए जिला प्रशासन ने सरपंच व सचिवों को मौखिक रूप से अधिक से अधिक लोगों को लाने का निर्देश तो दिया, परंतु गांवों तक वाहन उपलब्ध नहीं कराए।वाहन उपलब्ध न होने की वजह से सरपंच और सचिवों को अपने स्तर पर व्यवस्था करनी पड़ी। कई पंचायतों में ग्रामीणों को पिकअप वाहनों और मालवाहक ऑटो (डग्गा) में ठूस-ठूसकर कार्यक्रम स्थल तक लाया गया। एक-एक पिकअप में 20 से 30 लोगों को खड़ा करके ढोया गया। कई ग्रामीण तो गाड़ियों के पीछे लटककर सफर करने को मजबूर रहे। इससे न केवल उनके सम्मान पर आंच आई, बल्कि उनकी जान तक जोखिम में पड़ी।पूर्व में भी दोहराई जाती रही है यही अव्यवस्थायह कोई पहला मामला नहीं है। जिले में आयोजित होने वाले सरकारी कार्यक्रमों में भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी पंचायतों को दी जाती रही है, लेकिन ग्रामीणों के सुरक्षित परिवहन के लिए कोई स्पष्ट गाइडलाइन जारी नहीं की जाती। सरपंच और सचिव अक्सर खर्च बचाने या मजबूरी में मालवाहक गाड़ियों का सहारा लेते हैं। प्रशासनिक दबाव भी उनके लिए बड़ी समस्या बन जाता है—निर्देशों के पालन में चूक होने पर पंचायत कार्यों की फाइलें खोलकर जांच करने की चेतावनी तक दे दी जाती है।जान जोखिम में डालकर सफर करते ग्रामीणमालवाहक गाड़ियां सवारी ढोने के लिए उपयुक्त नहीं होतीं। ऐसे वाहनों में भीड़ अधिक होने से हादसे की आशंका बढ़ जाती है। कोरबा जिले में पहले भी ऐसी परिस्थितियों में कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें जान-माल का नुकसान हुआ है। इसके बावजूद इस व्यवस्था पर रोक लगाने या सुरक्षित परिवहन उपलब्ध कराने में प्रशासन लगातार विफल साबित हो रहा है।विभाग की भूमिका पर उठे सवालइस कार्यक्रम की जिम्मेदारी आदिवासी विकास विभाग और जिला प्रशासन पर थी। सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग श्रीकांत कसेर से इस संबंध में जानकारी लेने हेतु संपर्क किया गया, लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हुआ। इससे विभाग की लापरवाही और स्पष्ट हो जाती है।भगवान बिरसा मुंडा की जयंती जैसे सम्मानजनक अवसर पर जनजातीय समुदाय के लोगों को जिस तरह मालवाहक गाड़ियों में ढोकर लाया गया, उसने पूरे कार्यक्रम की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासनिक तैयारी और समन्वय की कमी एक बार फिर सामने आई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!