दीपका कोरबा।दीवाली से ठीक पहले एसईसीएल के दीपका क्षेत्र में मजदूरों का गुस्सा उफान पर है। ठेका मजदूरों ने आज मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय के बाहर ज़ोरदार प्रदर्शन किया और बोनस व केंद्र द्वारा निर्धारित वेतन न मिलने के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

हम मेहनत करते हैं, भीख नहीं हक मांगते हैं!” इन नारों से पूरा एसईसीएल कार्यालय गूंज उठा। मजदूरों ने कहा कि दीपावली आने को है, लेकिन बोनस का नाम तक नहीं लिया जा रहा।

कोयला मजदूर पंचायत के बैनर तले प्रदर्शन

प्रदर्शन कोयला मजदूर पंचायत के नेतृत्व में हुआ। संगठन के प्रतिनिधियों ने एसईसीएल दीपका प्रबंधन को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि ठेका मजदूरों को बोनस देने में जानबूझकर देरी की जा रही है, जबकि केंद्र सरकार और कंपनी की नीति साफ कहती है कि पात्र कर्मियों को समय पर बोनस दिया जाना चाहिए।

संगठन के प्रतिनिधि ने कहा “प्रबंधन मजदूरों को उनका हक देने में कोताही बरत रहा है। PLI बोनस (प्रोडक्टिविटी लिंक्ड इंसेंटिव) का लाभ मजदूरों को नहीं मिल रहा। कुछ मजदूरों को तीन-तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। ये अन्याय अब और बर्दाश्त नहीं होगा।

मजदूर नेताओं का आरोप है कि बोनस वितरण को लेकर एसईसीएल प्रबंधन और ठेका कंपनियों के बीच तालमेल की कमी नहीं, बल्कि जानबूझकर की गई देरी है।संगठन ने कहा कि महाप्रबंधक के पास पूरा अधिकार है कि यदि ठेका कंपनी बोनस नहीं देती, तो वह कंपनी के बिल भुगतान से राशि काटकर मजदूरों को बोनस दे सकते हैं।

जब अधिकार मौजूद हैं, तो कार्रवाई क्यों नहीं? मजदूरों को उनका हक मिलना चाहिए — यही हमारा संघर्ष है।

दीपका में बढ़ा तनाव, मजदूरों ने दी चेतावनी

प्रदर्शन के दौरान मजदूरों ने चेतावनी दी कि यदि 48 घंटे के भीतर बोनस का भुगतान नहीं हुआ, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। कोयला परिवहन कार्य प्रभावित हो सकता है, जिससे उत्पादन पर असर पड़ने की संभावना है।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, प्रबंधन ने प्रतिनिधियों से वार्ता करने की कोशिश की, लेकिन मजदूरों का कहना था कि “बात नहीं, अब बोनस चाहिए मजदूरों ने पेमेंट ऑफ बोनस एक्ट, 1965 का हवाला देते हुए कहा कि योग्य कर्मचारियों को न्यूनतम 8.33% बोनस देना अनिवार्य है। ठेका मजदूर भी इसी अधिनियम के तहत अधिकार रखते हैं।

स्थानीय लोगों और श्रमिक संगठनों ने मजदूरों के आंदोलन को समर्थन दिया है। उनका कहना है कि दीपका जैसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र में यदि बोनस और वेतन जैसी मूलभूत चीजों पर संघर्ष करना पड़े, तो यह सिस्टम की गंभीर खामी को दर्शाता है। क्षेत्र में उठी यह आवाज अब केवल बोनस तक सीमित नहीं रही, बल्कि श्रमिक अधिकारों और सम्मान की लड़ाई का प्रतीक बन चुकी है।फिलहाल, स्थिति पर प्रशासन की नजर बनी हुई है, और प्रबंधन ने शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया है।

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