दीपका कोरबा।कोरबा जिले के दीपका खदान में बुधवार दोपहर हुए दर्दनाक हादसे ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। हादसे में गंभीर रूप से घायल कर्मचारी कान्हा की हालत बेहद नाजुक है। पहले ही एक पैर घटना स्थल पर कट जाने के बाद अब चिकित्सकों ने संक्रमण फैलने के कारण दूसरा पैर भी काटना पड़ा है। कान्हा की जिंदगी और मौत से जूझती तस्वीर ने मजदूर वर्ग में गहरा आक्रोश फैला दिया है।

घटना के संबंध में सामने आ रही जानकारी के अनुसार, यह हादसा खदान क्षेत्र में बारूद खाली करने के दौरान हुआ था। मौके पर मौजूद श्रमिकों का कहना है कि यह केवल “टायर फटने” का मामला नहीं, बल्कि गंभीर सुरक्षा लापरवाही का परिणाम है।

पूर्व पार्षद अमरजीत सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा “अगर सुरक्षा मानकों का पालन हुआ होता, तो आज कान्हा अपने दोनों पैरों से वंचित नहीं होता। ट्रक के शीशे टूटे हैं, धमाका सामान्य नहीं था। इसकी जांच एसडीएम स्तर पर कराई जानी चाहिए।

” मोहल्ले के लोग उतरे सड़क पर — मुआवजे की मांग पर धरना

घटना के बाद कान्हा के मोहल्ले के लोग विकास नगर स्थित आईओसीएल (IBP) प्लांट के सामने धरने पर बैठ गए। लोगों ने पीड़ित परिवार के लिए मुआवजा, इलाज और स्थायी सहायता की मांग की।धरने में विश्व हिंदू परिषद के जिलाध्यक्ष व पूर्व पार्षद अमरजीत सिंह, वर्तमान पार्षद गीता गभेल सहित बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद रहे।

कंपनी ने तीन लाख की सहायता दी धरना स्थल पर पहुंचे आईओसीएल प्रबंधक रघुवीर सिंह मार्को ने संवेदनशीलता दिखाते हुए पीड़ित परिवार को तत्काल राहत के तौर पर कुल तीन लाख रुपए की सहायता राशि प्रदान की — जिसमें ठेकेदार द्वारा डेढ़ लाख और कंपनी प्रबंधन द्वारा डेढ़ लाख शामिल हैं।

मार्को ने यह भी कहा कि घायल कर्मचारी के इलाज का पूरा खर्च कंपनी उठाएगी, ताकि पीड़ित परिवार आर्थिक संकट में न फंसे।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है — दीपका खदान में सुरक्षा मानकों की अनदेखी और उपकरणों की खराब स्थिति बार-बार हादसों को जन्म दे रही है।

एक श्रमिक नेता ने कहा, “हर हादसे के बाद लीपापोती होती है, लेकिन जिम्मेदारी तय नहीं होती। अमरजीत सिंह ने मांग की कि मामले की जांच एसडीएम स्तर पर की जाए, ताकि वास्तविक कारण सामने आ सके। उन्होंने कहा कि प्रशासन को इस हादसे को “मामूली घटना” मानने की गलती नहीं करनी चाहिए।

स्थिति तनावपूर्ण, मजदूरों में असंतोष बढ़ा घटना के बाद पूरे दीपका क्षेत्र में असंतोष का माहौल है। मजदूर संगठन सुरक्षा उपायों की समीक्षा और दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। प्रशासन ने स्थिति पर नजर रखते हुए शांति बनाए रखने की अपील की है।दीपका खदान हादसे ने फिर एक बार यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या खदानों में सुरक्षा अब केवल कागजों तक सीमित रह गई है?जहां एक ओर घायल कर्मचारी जिंदगी से जूझ रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रबंधन की जिम्मेदारी पर उठते सवाल शासन-प्रशासन के लिए चेतावनी की घंटी हैं।

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