हरदीबाजार/एसईसीएल दीपका परियोजना से प्रभावित ग्राम हरदीबाजार में आज प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन ने भारी विरोध के बावजूद शासकीय भवनों का नापी सर्वे पूरा कराया।

सुबह से ही गांव में माहौल बेहद गर्म रहा, लेकिन जिला प्रशासन की सख्ती और पुलिस बल की मौजूदगी के बीच अंततः सर्वे की कार्यवाही पूरी की गई।

ग्रामवासियों का विरोध और प्रशासन की सख्ती।

जानकारी के अनुसार, जैसे ही सर्वे दल हरदीबाजार पहुंचा, ग्रामीणों ने “सर्वे बंद करो” के नारों के साथ विरोध शुरू कर दिया।लोगों ने आरोप लगाया कि बिना विश्वास में लिए और उचित जानकारी दिए प्रशासन ने जबरन सर्वे शुरू कर दिया।कई स्थानों पर ग्रामीणों और अधिकारियों के बीच तीखी बहस भी हुई। और लोग दीपका खदान में भी प्रवेश कर गए, हालांकि प्रशासन ने सख्त रवैया अपनाया और पुलिस बल की निगरानी में शासकीय भवनों की नापी प्रक्रिया पूरी कराई।

शासकीय भवनों के साथ निजी परिसंपत्तियों का भी सर्वे

विभागीय सूत्रों के अनुसार सर्वे के दौरान केवल शासकीय भवन ही नहीं, बल्कि करीब 10 निजी मकानों और परिसंपत्तियों की भी नापी की गई। यह भी जानकारी है कि कई भू स्वामी अपनी परिसंपत्तियों का मूल्यांकन कराने के लिए तैयार है।

इस बीच ग्रामीणों ने सवाल उठाया कि “जब पुनर्वास और मुआवजा तय नहीं हुआ, तो सर्वे की इतनी जल्दबाजी क्यों?”कई ग्रामीण प्रतिनिधियों ने इस कार्रवाई को “एकतरफा निर्णय” बताया।

गांव में आज दिनभर भारी पुलिस बल और कार्यपालिक दंडाधिकारियों की तैनाती रही।एसडीएम रोहित सिंह, तहसीलदार अमित केरकेट्टा और अन्य अधिकारी मौके पर मौजूद रहे।तनावपूर्ण माहौल के बीच शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए प्रशासन लगातार सक्रिय रहा, और अभी लगातार यह कार्य जारी रहेगा।

हालांकि सर्वे की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, लेकिन ग्रामवासियों के मन में आक्रोश अब भी गहरा है।स्थानीय लोगों का कहना है कि “जब तक पारदर्शी मुआवजा और पुनर्वास नीति घोषित नहीं होती, तब तक किसी भी सर्वे को वैध नहीं माना जाएगा।

हरदीबाजार में प्रशासन ने आज शक्ति का प्रदर्शन जरूर किया, लेकिन विश्वास और संवाद की कमी ने इस सर्वे को विवाद का नया अध्याय बना दिया है। ग्रामीणों का कहना है अगर एसईसीएल दीपका प्रबंधन ने जल्द ही ग्रामीणों के सवालों का जवाब नहीं दिया,तो यह मुद्दा आने वाले दिनों में और बड़ा रूप ले सकता है।

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