हरदीबाजार/कोरबा, 15 अक्टूबर 2025।एसईसीएल दीपका परियोजना से प्रभावित हरदीबाजार ग्राम में बुधवार को हुए नापी सर्वे के दौरान भारी तनाव का माहौल देखने को मिला।
भारी पुलिस बल और प्रशासनिक अमले की मौजूदगी के बीच जब एसईसीएल और राजस्व विभाग की टीमें सर्वे के लिए गांव में दाखिल हुईं, तो ग्रामीणों का गुस्सा अचानक फूट पड़ा।गांव के शासकीय भवनों और परिसंपत्तियों के सर्वे को लेकर ग्रामीणों ने प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए जमकर विरोध किया।
ग्रामीणों का आरोप — बिना विश्वास में लिए जबरन सर्वे की कोशिश
ग्रामीणों का कहना है कि एसईसीएल दीपका प्रबंधन द्वारा लगातार आश्वासन के बावजूद न तो मुआवजा तय हुआ है और न ही पुनर्वास की स्पष्ट योजना दी गई है।
ऐसे में प्रशासन का अचानक सर्वे कराने पहुंचना “एकतरफा कार्रवाई” माना जा रहा है।ग्रामीणों ने नारेबाजी करते हुए कहा “जब तक पारदर्शी मुआवजा तय नहीं होगा, किसी भी सर्वे को नहीं होने देंगे।
” प्रशासन ने दी समझाइश, बातचीत रही बेनतीजा
स्थिति बिगड़ती देख मौके पर पहुंचे एसडीएम रोहित सिंह ने ग्रामीण प्रतिनिधियों से करीब दो घंटे तक लगातार चर्चा की।हालांकि प्रयासों के बावजूद कोई ठोस सहमति नहीं बन सकी।समाचार लिखे जाने तक ग्रामीणों और प्रशासन के बीच तनातनी का माहौल बना हुआ है, और पुलिस बल गांव के चारों ओर मुस्तैद खड़ा है।
सुरक्षा के साए में प्रशासनिक हलचल।
जिला प्रशासन ने पहले से ही भारी सुरक्षा बल तैनात किया था।स्थानीय थाना हरदीबाजार, दीपका और कुसमुंडा के जवानों के साथ-साथ सशस्त्र बल और कार्यपालिक दंडाधिकारी मौके पर डटे रहे।फिर भी प्रशासन को ग्रामीणों की नाराजगी को शांत करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
एसईसीएल प्रबंधन पर ग्रामीणों का निशाना
ग्रामीणों ने एसईसीएल दीपका प्रबंधन पर “जनभावनाओं की अनदेखी” और “बिना संवाद जबरन कार्रवाई” करने का आरोप लगाया।स्थानीय लोगों का कहना है कि कंपनी ने वर्षों से विस्थापन और मुआवजा से जुड़े मामलों को लटकाकर रखा है, और अब प्रशासन के सहारे सर्वे की आड़ में गांव खाली कराने की तैयारी कर रही है।
एक ग्रामीण नेता ने कहा — “हम विकास के खिलाफ नहीं, पर अन्याय के खिलाफ हैं।जब तक एसईसीएल अपना वादा निभाकर उचित मुआवजा और पुनर्वास नहीं देती, तब तक हम किसी भी सर्वे को नहीं होने देंगे।
”समाचार लिखे जाने तक गांव में पुलिस बल तैनात है और प्रशासनिक अधिकारी लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।हालांकि अब भी माहौल पूरी तरह शांत नहीं हुआ है और ग्रामीणों की नाराजगी एसईसीएल दीपका प्रबंधन के खिलाफ स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है।
संपादकीय दृष्टि से:हरदीबाजार की यह घटना एसईसीएल की पुनर्वास नीति पर उठते सवालों को एक बार फिर केंद्र में ले आई है।यदि प्रशासन और कंपनी ने जल्द समाधान नहीं निकाला, तो यह विवाद और गहराता दिखाई दे रहा।