
दीपका (कोरबा) – छत्तीसगढ़ी संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण-संवर्धन के संकल्प के साथ छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने सोमवार को दीपका नगर में प्रकृति, मीत-मितानी और लोकपरंपरा से जुड़ा लोकप्रिय त्योहार भोजली बड़े हर्षोल्लास से मनाया।कार्यक्रम की शुरुआत गेवरा स्टेडियम से हुई, जहां से भव्य भोजली शोभायात्रा निकाली गई।

सैकड़ों महिलाएं पारंपरिक छत्तीसगढ़ी वेशभूषा में भोजली की टोकरियां सिर पर लिए नगर भ्रमण करती रहीं। शोभायात्रा में करमा, पंथी, सुवा नृत्य, राउतनाचा, नवदुर्गा झांकी और बस्तर से आए मांदरी नृत्य दल ने पूरे माहौल को लोककला और संस्कृति के रंग में रंग दिया।विशाल छत्तीसगढ़ महतारी की झांकी इस आयोजन का मुख्य आकर्षण रही।

शोभायात्रा में जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी और हज़ारों नगरवासी शामिल हुए। यात्रा प्राचीन झाबर भोजली तालाब पहुंची, जहां पारंपरिक विधि से भोजली दाई का विसर्जन किया गया। इसके बाद आपसी शुभकामनाएं देने के लिए भोजली के अंश एक-दूसरे के कान में खोंचे गए।

श्रद्धालु अपने-अपने घरों में कुलदेवता को अर्पित करने के लिए भोजली के पौधे लेकर लौटे।कार्यक्रम के उद्देश्य पर संगठन के सुरेंद्र राठौर, जिला अध्यक्ष सुरजीत सोनी और जैनेंद्र कुर्रे ने कहा – “भूलते जा रहे छत्तीसगढ़ी तीज-त्योहार, कला और संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना पूरे प्रदेश में ऐसे आयोजन लगातार कर रही है।

आज दीपका में प्रदेशस्तरीय जबर भोजली रैली में क्षेत्र की जनता ने सभी भेदभावों को भुलाकर ‘छत्तीसगढ़िया हम सब एक’ की मिसाल पेश की।”इस अवसर पर आत्मानंद स्कूल के एनसीसी गाइड्स, स्थानीय स्कूलों के विद्यार्थी, समाज के गणमान्य नागरिक और बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

मुख्य रूप से संगठन के केंद्रीय पदाधिकारी गिरधर साहू, यशवंत वर्मा, भूषण साहू, चंद्रकांत यदु, लता राठौर, देवेन्द्र नेताम, अरुण गंधर्व तथा जिला एवं खंड पदाधिकारी नवल साहू, संजीव गोस्वामी, ओम केवट, बसंत चंद्राकर, लाला साहू, हरि चौहान, चंचल महंत, सुनीता खूंटे, प्रेरणा कुर्रे सहित सैकड़ों पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे।

दीपका में गूंजा – “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया”, लोककला और संस्कृति का अद्भुत संगम बना भोजली महापर्व।

