दीपका/एसईसीएल दीपका खदान में कोयला राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे के दौरे को लेकर स्थानीय स्तर पर भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। मंत्री के आगमन को गोपनीय रखते हुए स्थानीय प्रबंधन ने न केवल केंद्रीय श्रमिक संगठन के पदाधिकारी और भू-विस्थापितों को इस कार्यक्रम से दूर रखा, बल्कि मीडिया को भी कवरेज से वंचित कर दिया। यह जरूर है कि भाजपा के स्थानीय नेताओं का भेट मुलाकात कार्यक्रम संपन्न हुआ। इंटक के गोपाल नारायण ने कहा कि मंत्री के आगमन जानकारी प्रबंधन ने नहीं दिया है।

मंत्री के खदान आगमन से पहले प्रगति नगर से लेकर खदान के अंदर स्थित सीएचपी (कोल हैंडलिंग प्लांट) तक की सड़कों को पर्दों से ढंक दिया गया। इन पर्दों की चपेट में आने से एक पूर्व अधिकारी घायल हो गए, जिससे लोगों में असंतोष और भी गहरा गया।

स्थानीय लोगों और पत्रकारों का आरोप है कि प्रबंधन जानबूझकर जनता की बुनियादी समस्याओं को मंत्री से छुपाना चाहता था। यही कारण रहा कि दौरे को पूर्णतः गोपनीय रखा गया और स्थानीय मीडिया को सीआईएसएफ द्वारा खदान में प्रवेश से रोक दिया गया। पत्रकारों को साफ शब्दों में कह दिया गया कि उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं है, जिससे वे निराश होकर लौट गए।

इस पूरे घटनाक्रम को लेकर मीडिया और श्रमिक संगठनों में आक्रोश है। उनका कहना है कि करोड़ों रुपये खर्च कर साज-सज्जा तो कर दी गई, लेकिन जिन मुद्दों को मंत्री के सामने उठाया जाना चाहिए था, उन्हें दबाने की कोशिश की गई।

स्थानीय श्रमिक संगठनों और भू-विस्थापित प्रतिनिधियों ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है और पूछा है कि आखिर प्रबंधन को क्या छुपाना था, जिसके लिए इतनी गोपनीयता बरती गई?

यह घटना यह संकेत देती है कि एसईसीएल दीपका प्रबंधन अब पारदर्शिता से बचने की राह पर है, जिससे जनता, मजदूर और पत्रकारों का भरोसा डगमगाने लगा है।

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