कुसमुंडा/कोरबा।एसईसीएल के मेगा प्रोजेक्ट्स में शामिल कुसमुंडा क्षेत्र इन दिनों भूविस्थापितों के गुस्से का केंद्र बना हुआ है। जमीन अधिग्रहण के एवज में रोजगार की मांग को लेकर रविवार सुबह से भूविस्थापितों ने मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय के गेट पर खटिया-बर्तन और हड़िया रखकर धरना शुरू कर दिया।

गेट को तालाबंद कर प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि वाजिब मांगों पर सुनवाई नहीं हुई तो यह आंदोलन तीन दिनों तक जारी रहेगा।

प्रबंधन के साथ नोक-झोंक, गहरी चिंता जताई

प्रदर्शन के दौरान महिलाओं और पुरुषों ने अपनी आवाज़ बुलंद की। कई मौकों पर उनकी एसईसीएल अधिकारियों के साथ नोक-झोंक भी हुई। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वर्षों पहले जमीन अधिग्रहण हो जाने के बावजूद उन्हें नौकरी नहीं दी गई, जिससे आजीविका का संकट गहराता जा रहा है।

गोमती केवट के मामले ने पकड़ा तूल

प्रदर्शन में शामिल भूविस्थापित गोमती केवट ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि उनके ससुर के नाम अधिग्रहित भूमि के एवज में किसी असंबंधित व्यक्ति को नौकरी दे दी गई, जबकि परिवार को रोजगार से वंचित रखा गया।

गोमती ने कहा कि संबंधित व्यक्ति को परिवार जानता तक नहीं है। यह मामला पहले भी उठा था और अब कंपनी प्रबंधन की ओर से आरोप पत्र जारी कर जांच की प्रक्रिया शुरू की गई है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जगन्नाथपुर उपक्षेत्र में बतौर फिटर कार्यरत प्रहलाद पिता रमेश के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर गलत तरीके से नौकरी प्राप्त की है।आरोप पत्र में कहा गया है कि –उन्होंने नामांकन और दस्तावेजों में कथित रूप से गड़बड़ी कर नौकरी हासिल की।यह कार्य कंपनी के प्रमाणित स्थाई आदेशों के अंतर्गत गंभीर कदाचार की श्रेणी में आता है।प्रहलाद को 72 घंटे के भीतर लिखित स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया गया है।

प्रबंधन ने फिलहाल रोका आंदोलन, पर बाकी डटे

गोमती केवट को इस कार्रवाई की जानकारी देने के बाद प्रबंधन ने उनके आंदोलन को अस्थायी रूप से स्थगित करा लिया। हालांकि, अन्य भूविस्थापित परिवार अभी भी स्थल पर डटे हुए हैं और उन्होंने 8 से 10 सितंबर तक धरना जारी रखने की घोषणा की है।बड़े सवाल खड़ेयह प्रकरण भूविस्थापितों के रोजगार प्रावधान और उसकी पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।जब जमीन अधिग्रहण के एवज में रोजगार का वादा किया गया था, तो फिर परिवार को नौकरी क्यों नहीं मिली?

अगर फर्जी नौकरी का मामला सही साबित होता है, तो क्या इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी?करोड़ों टन उत्पादन का लक्ष्य पूरा करने वाले इस मेगा प्रोजेक्ट में, क्या भूविस्थापितों के साथ न्याय होगा?

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