शाजी थामस

श्रीनगर/ कश्मीर घाटी में पहली बार केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जवानों को भारतीय सेना की विशेष यूनिट्स द्वारा विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह अभूतपूर्व पहल राष्ट्रीय सुरक्षा को नई मजबूती देने के साथ ही सुरक्षा बलों के बीच समन्वय को भी बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

इस विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम में CISF की क्विक रिएक्शन टीम (QRT) के चुने हुए जवानों को शामिल किया गया है। ये वही बल हैं जो आपात परिस्थितियों में सबसे पहले मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभालते हैं।

प्रशिक्षण के मुख्य बिंदुओं में नाइट ऑपरेशन (रात्रि गश्त और कार्रवाई), जंगल वॉरफेयर (जंगल क्षेत्र में युद्ध तकनीक), क्लोज कॉम्बैट (नज़दीकी लड़ाई), और एंड्योरेंस ट्रेनिंग (सहनशक्ति बढ़ाने वाले अभ्यास) शामिल हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा की दिशा में रणनीतिक पहल।

यह प्रशिक्षण पहल केवल सैन्य कौशल बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य CISF के जवानों को मानसिक, शारीरिक और रणनीतिक रूप से इतना सक्षम बनाना है कि वे किसी भी संकट या खतरे का सामना दृढ़ता से कर सकें। खास तौर पर कश्मीर जैसे संवेदनशील और जटिल इलाके में इस तरह की संयुक्त ट्रेनिंग से बल की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

शहरी सुरक्षा अनुभव को मिलेगा विस्तार।

CISF को मुख्य रूप से देश के महत्वपूर्ण औद्योगिक प्रतिष्ठानों, हवाई अड्डों और मेट्रो जैसे शहरी संरचनाओं की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया है। सेना से मिल रही यह विशेष ट्रेनिंग CISF के इस अनुभव को और मजबूत करेगी तथा बल को नई चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर रूप से तैयार करेगी।

सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल आपसी तालमेल को बढ़ाते हैं, बल्कि देश की एकीकृत सुरक्षा रणनीति को भी नई दिशा देते हैं। यह प्रशिक्षण आने वाले समय में भारत की आंतरिक सुरक्षा को और भी ज्यादा सशक्त बनाएगा।

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