Shaji Thomas
कोरबा, जुलाई 2025 — एशिया की दूसरी सबसे बड़ी और विश्व की अग्रणी कोल परियोजनाओं में शामिल गेवरा खदान एक बार फिर सवालों के घेरे में है। रिकॉर्ड तोड़ कोयला उत्पादन और डिस्पैच के सरकारी दावों के पीछे अब बड़ा घोटाला सामने आया है: कोयले की जगह मिट्टी और शेल पत्थर की सप्लाई!
गेवरा खदान के ओल्ड दीपका स्टॉक से सामने आई ताज़ा तस्वीरें इस पूरे खेल की पोल खोल रही हैं। तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि कोयले के बजाय मिट्टी और पथरीला शेल पत्थर का विशाल स्टॉक जमा है, जिसे ट्रकों और ट्रेलरों के ज़रिए पावर प्लांट्स तक भेजा जा रहा है।
घटिया कोयले से घटा जीसीवी, पावर प्लांट्स ने काटी पेमेंट।
गेवरा से भेजे जा रहे कोयले की जीसीवी (ग्रोस कैलोरिफिक वैल्यू) सिर्फ 3200 के आसपास पाई जा रही है, जबकि सामान्यत: 3800–4000 होनी चाहिए। नतीजतन, पावर प्लांट्स घटिया गुणवत्ता के कोयले की वजह से लिफ्टरों के पेमेंट काट रहे हैं। डीओ होल्डर्स का कहना है कि उन्हें प्रति ट्रक 20–30 हजार रुपये का नुकसान हो रहा है।
प्रबंधन पर आरोप: कोल लक्ष्य पूरा करने की होड़ में मिट्टी और पत्थर भेजे जा रहे।
सूत्रों का दावा है कि गेवरा प्रबंधन सिर्फ डिस्पैच और उत्पादन के लक्ष्य दिखाने के लिए कोयले के साथ मिट्टी और शेल पत्थर भी स्टॉक में रखकर लोड करवा रहा है। यही नहीं, इनसिमबेंड (पथरीला) कोयले को अच्छे कोयले में मिलाकर रोड सेल के ज़रिए डीओ होल्डर्स को जबरन लोडिंग कराई जा रही है।
लिफ्टर बोले– ‘अगर लेना है तो लो, नहीं तो छोड़ दो!’
कोल क्षेत्र के अधिकारियों का कहना है कि “बरसात में ऐसा ही कोयला मिलेगा, लेना है तो लो नहीं तो मत लो!” कई लिफ्टर और पावर प्लांट्स गेवरा प्रबंधन के इस रवैये से बेहद नाराज़ हैं और खुलकर शिकायतें दर्ज कराने की तैयारी कर रहे हैं।
कोयले की जगह गिट्टी! खदान या पत्थर खदान?
खदान में मौजूद स्टॉक्स को देखकर अब लिफ्टर और विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह कोयला खदान है या फिर गिट्टी खदान? कई स्थानों पर स्टॉक में मिट्टी और पत्थर की मात्रा इतनी अधिक है कि असली कोयला ढूंढना मुश्किल हो गया है।
बार-बार की गई शिकायतें बेअसर, बढ़ रहा गुस्सा
लिफ्टरों ने कई बार गेवरा प्रबंधन को खराब कोयले की समस्या से अवगत कराया, मगर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अब पावर प्लांट्स भी आगे आकर गेवरा प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में हैं।
कोरबा के कोयलांचल में गूंज उठा सवाल: कीर्तिमान या घोटाला?
अभी तक गेवरा खदान की उपलब्धियों की चमक में छिपे इस ‘मिट्टी-पत्थर’ घोटाले ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है – आखिर जिम्मेदार कौन? कोल सेक्टर से जुड़े लोग कह रहे हैं कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो सिर्फ पावर प्लांट ही नहीं, पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर बड़ा संकट आ सकता है।