दीपका, कोरबा।एसईसीएल दीपका क्षेत्र की खदान में बीते दिन हुई दर्दनाक दुर्घटना अब एक बड़े सुरक्षा लापरवाही कांड के रूप में सामने आ रही है। प्रारंभिक तौर पर “टायर फटने” की घटना बताई गई यह दुर्घटना, अब ब्लास्टिंग सिस्टम से जुड़ी गंभीर तकनीकी चूक के रूप में उभर रही है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह हादसा एलके-1 (मरघट साइड) में ब्लास्टिंग कार्य के दौरान हुआ था। बताया जा रहा है कि गेवरा से बूस्टर लेकर दीपका खदान पहुंचकर ड्रिलिंग किए गए होलों में बूस्टर डालने का जिम्मा एसईसीएल प्रबंधन के पास था।बूस्टर एक अत्यधिक संवेदनशील विस्फोटक पदार्थ होता है, जिसे सख्त निगरानी और सुरक्षा मानकों के तहत रखा जाता है।
सूत्रों की मानें तो घटना के वक्त ब्लास्टिंग इंचार्ज घटनास्थल से लगभग 5 किलोमीटर दूर केसीसी साइड पर मौजूद थे, और घटना स्थल की जिम्मेदारी ओवरमैन की थी जिन्होंने सुरक्षा प्रोटोकॉल का गंभीर उल्लंघन किया है। सूत्र यह भी बताते हैं कि उच्च अधिकारियों के दबाव के कारण हड़बड़ी में यह घटना सामने आई है।
विभागीय सूत्रों ने बताया कि बारूद से भरी भारी वाहन नियमतः ब्लास्टिंग फेस से 200–300 मीटर दूर खड़े किए जाते हैं, जबकि घटना दिनांक को ब्लास्टिंग बारूद से भरा ट्रक सीधे ब्लास्टिंग फेस पर ले जाया गया।ऐसे में 25 टन वजनी ट्रक का दबाव पहले से बूस्टर डाले गए ड्रिल होल पर पड़ा, जिससे बूस्टर विस्फोटित हो गया। धमाके की तीव्रता इतनी अधिक थी कि ट्रक के टायर और मेटल पार्ट्स धूल कंकर कई मीटर दूर तक उड़ गए, और पास में मौजूद मजदूर भी गंभीर रूप से घायल हो गया — उसके दोनों पैर काटने पड़े, जिससे वह आजीवन अपाहिज हो गया। जारी तस्वीर देखने से ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह घटना विस्फोट से घटी है बारूद वाहन के कई हिस्सों में ब्लास्ट के निशान देख सकते है।

घटना के बाद प्रबंधन की ओर से इसे “टायर फटने” की घटना बताकर मामले को दबाने का प्रयास किया गया, लेकिन सच्चाई धीरे-धीरे सामने आने लगी है। अब डीजीएमएस (Directorate General of Mines Safety) की टीम ने इस पूरे मामले की जांच अपने हाथों में ले ली है।
स्थानीय मजदूर संगठनों का कहना है कि यह हादसा प्रबंधन की हड़बड़ी और दबाव में किए गए कार्यों का परिणाम है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब बूस्टर अत्यंत खतरनाक पदार्थ होता है, तो उसकी निगरानी में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई?और क्या ब्लास्टिंग फेस पर भारी वाहन खड़ा करना सुरक्षा नियमों का उल्लंघन नहीं है?इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि दीपका क्षेत्र में सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन केवल कागज़ों तक सीमित है।
मजदूर संगठन और स्थानीय जनप्रतिनिधि अब उच्चस्तरीय जांच और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।यह हादसा सिर्फ एक व्यक्ति की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम के लिए कड़ा सबक है — कि जब सुरक्षा पर समझौता होता है, तो उसका परिणाम खदान के सबसे निचले स्तर पर कार्यरत मजदूर को भुगतना पड़ता है।