“दीपका खदान में टायर नहीं, बूस्टर फटा था!” – सुरक्षा लापरवाही से मजदूर ने खोए दोनों पैर, अब जांच की मांग तेज
दीपका, कोरबा।एसईसीएल दीपका क्षेत्र की खदानों में सुरक्षा व्यवस्था एक बार फिर कठघरे में है। हाल ही में हुई दर्दनाक घटना, जिसमें एक मजदूर गंभीर रूप से घायल हुआ और उसके दोनों पैर काटने पड़े, अब गहराई से जांच का विषय बन चुकी है।
प्रबंधन ने प्रारंभिक तौर पर इस घटना को “टायर फटने” की दुर्घटना बताया था, लेकिन अब स्थानीय सूत्रों के अनुसार सच्चाई कुछ और ही है। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि यह हादसा ब्लास्टिंग कार्य में प्रयुक्त विस्फोटक पदार्थ (बूस्टर) के कारण हुआ। बताया जा रहा है कि घटना के समय ब्लास्टिंग विभाग का एक ट्रक कार्यस्थल पर मौजूद था, जिसका टायर बूस्टर जैसी सामग्री पर चढ़ गया — और उसी के बाद हुआ तेज धमाका जिसने पूरे क्षेत्र को हिला दिया।
धमाके की तीव्रता इतनी अधिक थी कि आसपास धूल और पत्थर हवा में उड़ गए और जमीन में गड्ढा बन गया। इससे यह साफ झलकता है कि विस्फोट सामान्य “टायर फटना” नहीं था।हालांकि, एसईसीएल प्रबंधन ने अब तक आधिकारिक रूप से “टायर ब्लास्ट” की ही पुष्टि की है, मगर स्थानीय स्तर पर लोगों ने इस दावे को लेकर गहरा संदेह है। उनका कहना है कि घटना की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच कराई जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके।
मजदूर संगठनों ने आरोप लगाया है कि खदान क्षेत्र में ब्लास्टिंग कार्य के दौरान सुरक्षा मानकों और बैरिकेडिंग नियमों का अक्सर पालन नहीं किया जाता। कई बार सुरक्षा उपकरणों की कमी और जोखिम वाले क्षेत्रों में अनियंत्रित आवागमन भी देखा गया है।
पूर्व में भी हमने दीपका खदानों में सुरक्षा लापरवाही को लेकर चेतावनी देते रहे हैं। इसके बावजूद ऐसी घटनाएं होना, सुरक्षा प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
अब सवाल उठ रहा है —क्या वास्तव में हादसे का कारण “टायर फटना” था या “बूस्टर ब्लास्ट”? क्या ब्लास्टिंग कार्य में सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन हुआ था? और क्या भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे?
यह घटना सिर्फ एक मजदूर की पीड़ा नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम के लिए चेतावनी है।
दीपका प्रबंधन से अपेक्षा है कि वे इस मामले की सच्चाई उजागर करें, समाचार के माध्यम से सत्यता को सामने लाने वाले पत्रकारों पर निशाना साधने के बजाय अपने लोक सेवक होने की जिम्मेदारियों का निर्वहन करें। ताकि खदानों में कार्यरत प्रत्येक श्रमिक की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।