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कोरबा, 01 अप्रैल 2025। छत्तीसगढ़ में फ्लोरमैक्स कंपनी और निजी बैंकों द्वारा कथित ठगी का शिकार हुईं हजारों ग्रामीण महिलाओं ने न्याय के लिए अपनी आवाज बुलंद कर दी है। इन महिलाओं की ओर से सामाजिक कार्यकर्ता उमागोपाल कुमार ने राज्यपाल, छत्तीसगढ़ महिला आयोग और अनुसूचित जनजाति आयोग को पत्र लिखकर लोन माफी, सीबीआई जांच और बैंक कर्मचारियों की प्रताड़ना पर रोक लगाने की मांग की है।

पत्र में बताया गया है कि फ्लोरमैक्स कंपनी ने ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक लाभ का झूठा आश्वासन देकर निजी बैंकों से लोन दिलवाया और इस राशि को अपनी कंपनी में निवेश करवाया। कंपनी के अचानक बंद होने के बाद महिलाएं भारी कर्ज के बोझ तले दब गईं। इनमें से अधिकांश महिलाएं आर्थिक रूप से कमजोर और अनुसूचित जनजाति समुदाय से हैं, जो अब लोन की किस्तें चुकाने में असमर्थ हैं।बावजूद इसके, बैंक कर्मचारियों द्वारा महिलाओं के घरों में जाकर धमकियां देने और मानसिक उत्पीड़न करने के गंभीर आरोप लगे हैं। इस वजह से कई महिलाएं भय, तनाव और आत्महत्या जैसी स्थितियों का सामना कर रही हैं।

पीड़ित महिलाओं की प्रमुख मांगें

1. फ्लोरमैक्स कंपनी और निजी बैंकों की मिलीभगत की सीबीआई जांच।2. ठगी का शिकार हुई महिलाओं के लोन की तत्काल माफी।3. बैंक कर्मचारियों द्वारा की जा रही जबरदस्ती और प्रताड़ना पर तुरंत रोक।4. घोटाले में शामिल अधिकारियों और संस्थानों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई।

महिला आयोग और अनुसूचित जनजाति आयोग से विशेष आग्रह

उमागोपाल कुमार ने अपने पत्र में महिला आयोग से अनुरोध किया है कि ग्रामीण महिलाओं के खिलाफ हो रही इस आर्थिक और मानसिक हिंसा को महिला अधिकारों के उल्लंघन के रूप में देखा जाए। साथ ही, अनुसूचित जनजाति आयोग से अपील की गई है कि चूंकि पीड़ितों में बड़ी संख्या अनुसूचित जनजाति की महिलाओं की है, इसलिए उनके संरक्षण और न्याय के लिए विशेष कदम उठाए जाएं।

पत्र में चेतावनी दी गई है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई और किसी भी पीड़ित महिला की जान जाती है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी निजी बैंकों और राज्य प्रशासन की होगी।

यह मामला अब राज्य में गंभीर बहस का मुद्दा बन गया है। महिला आयोग और अनुसूचित जनजाति आयोग से इस पर शीघ्र हस्तक्षेप और त्वरित कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है। पीड़ित महिलाओं और सामाजिक संगठनों ने न्याय की लड़ाई को और तेज करने का संकल्प लिया है।

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