कोरबा, छत्तीसगढ़। 102 महतारी सेवा में पदस्थ ड्राइवर जितेंद्र जायसवाल ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि ड्यूटी के दौरान सड़क हादसे में एक आंख की रोशनी चली गई और पैर में रॉड लगी, लेकिन उनकी कंपनी ने न तो कोई बीमा क्लेम दिलाया और न ही इलाज का खर्च उठाया। पीड़ित ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से न्याय की मांग करते हुए कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की अपील की है।जितेंद्र जायसवाल ने बताया कि वे पीएचसी पाली जिला कोरबा में ड्राइवर के पद पर कार्यरत थे। 21 अक्टूबर की रात 7 बजे उन्हें कॉल सेंटर से केस लेने की ड्यूटी मिली थी। रास्ते में ट्रक से टक्कर बचाने की कोशिश में उनकी गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में उनकी एक आंख की रोशनी चली गई और पैर में गंभीर चोट लगी, जिसमें रॉड डाली गई है।
हादसे के बाद उन्हें पाली और फिर जिला अस्पताल कोरबा में इलाज के लिए ले जाया गया। बाद में रायपुर रेफर किया गया, जहां डॉक्टरों ने साफ कह दिया कि उनकी आंख से अब वे देख नहीं पाएंगे।जितेंद्र का आरोप है कि उनकी कंपनी 102 महतारी सेवा ने ईएसआईसी का प्रीमियम पिछले कई महीनों से नहीं जमा किया था, जिससे उनका क्लेम निरस्त हो गया। कंपनी ने एक रुपये का भी बीमा या मुआवजा नहीं दिया। उल्टा, जितेंद्र को ही गाड़ी की मरम्मत के लिए भाग-दौड़ करनी पड़ी और निजी तौर पर खर्च उठाना पड़ा।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कंपनी कर्मचारियों का शोषण करती है—24, 48 और 72 घंटे तक लगातार ड्यूटी करवाती है, लेकिन सिर्फ 8000 रुपए वेतन देती है जबकि जॉइनिंग के समय 12000 बताई गई थी। ओवरटाइम, छुट्टी या सैलरी स्लिप जैसी कोई सुविधा नहीं मिलती। उनसे 30,000 रुपए सिक्योरिटी के नाम पर लिए गए थे जो अब तक वापस नहीं किए गए हैं। वेतन से बीमा की कटौती होती रही, लेकिन दुर्घटना के समय कोई सुविधा नहीं दी गई।
जितेंद्र ने कहा कि अब वे अपाहिज हो गए हैं, घर में चार छोटी बेटियां हैं और उनके पास कोई आय का स्रोत नहीं है। वे मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और मीडिया से अपील करते हैं कि उन्हें न्याय दिलाया जाए और इस शोषणकारी कंपनी के टेंडर को रद्द किया जाए।