शाजी थामस

कोरबा, कुसमुंडा:साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) की कुसमुंडा परियोजना में बड़े पैमाने पर कोयला चोरी का मामला सामने आया है। खुद रोड सेल विभाग के अधिकारियों ने इस चोरी का पर्दाफाश किया है।

इस मामले में चार ट्रकों से कुल 84.67 टन कोयला, जिसकी अनुमानित कीमत ₹1.68 लाख रुपये है, चोरी करते पकड़ा गया।

दिनांक 23 जुलाई 2025 की रात करीब 11:30 बजे SECL की टीम द्वारा औचक निरीक्षण किया गया। इसके बाद रोड सेल अधिकारी ने दिनांक 24 जुलाई को एक पत्र सुरक्षा प्रभारी को भेजा, जिसमें चार ट्रकों में तय मात्रा से अधिक कोयला ले जाने की जानकारी दी गई।जब कोल इंडिया चौक और कुसमुंडा थाना चौक के बीच इन ट्रकों का भौतिक सत्यापन किया गया, तो चारों ट्रक ओवरलोड पाए गए।

सभी वाहन “खाटु श्याम ट्रेडर्स” के नाम पर पंजीकृत हैं।

ट्रक नंबर अति भारित वजन CG10BT3453 22.33

CG10BT3353 25.07

CG10BT2553 18.88

CG10BT2153 18.39

कुल 84.67 टन

चालक1. फुलचंद जायसवाल2. रमेश कुमार कुसवाहा3. प्रवेश कुमार जायसवाल4. एक अन्य अज्ञात चालक

कुसमुंडा थाना पुलिस ने चारों चालकों के खिलाफ चोरी की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है। मामले की आगे जांच की जा रही है। वही ट्रक मालिक अभी जांच के घेरे में है।

बड़े अधिकारियों पर सवाल, अब तक कोई कार्रवाई नहीं

इस मामले में सवाल उठ रहे हैं कि चोरी जैसी बड़ी घटना के बाद भी SECL प्रबंधन द्वारा अपने किसी भी कर्मचारी पर कार्रवाई नहीं की गई है।सूत्रों के अनुसार, इस तरह की चोरी में केवल ड्राइवर और ट्रक मालिक शामिल नहीं हो सकते। डीओ लिफ्टर, लोडिंग कर्मचारी, लोडिंग प्रभारी और अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।

बताया जा रहा है कि लोडिंग का काम बड़े डीओ होल्डरों को खुद का लोडर लगाकर करने दिया जाता है, जिससे पारदर्शिता की कमी होती है और कोयला चोरी को बढ़ावा मिलता है। नियमों के अनुसार, लोडिंग की जिम्मेदारी प्रबंधन को खुद निभानी चाहिए थी, लेकिन “मलाईदार व्यवस्था” बनाए रखने के लिए यह जिम्मेदारी निजी हाथों में सौंप दी जाती है।

सेल्स विभाग और GM तक संदिग्ध।

सूत्रों का मानना है कि इस गोरखधंधे में सेल्स डिपार्टमेंट से लेकर जीएम स्तर तक की मिलीभगत हो सकती है। कुसमुंडा खदान में बिना डीओ (Delivery Order) के किसी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश संभव नहीं, फिर भी चोरी का खुलासा यह दर्शाता है कि अंदरूनी मिलीभगत से यह खेल चल रहा है।

स्थानीय जनता और कर्मचारियों की मांग है कि इस मामले की उच्चस्तरीय, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच होनी चाहिए। केवल चालकों पर दोष मढ़ने से काम नहीं चलेगा, पूरे नेटवर्क को बेनकाब करना जरूरी है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हो सकें।

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