Breaking

शाजी थॉमस

कोयलांचल/दीपका/कोयलांचल दीपका गेवरा क्षेत्र में तीज पर्व की धूम रही महिलाओं ने व्रत रख कर पति की लंबी उम्र की कामना की निर्जला उपवास के साथ यह व्रत मनाया गया।18 सितंबर दिन सोमवार को हरतालिका तीज का व्रत किया गया यह पर्व हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को मनाते हैं।

भगवान शिव,पार्वती मत की होती है पूजा।

इस व्रत के करने से भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। हरतालिका तीज का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के अटूट रिश्तो को ध्यान में रखकर किया जाता है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पूजा अर्चना करती हैं और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। साथ ही फिर हरतालिका तीज की कथा सुनती हैं। हरतालिक तीज के कथा सुनने व पढ़ने मात्र से भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सुख-शांति और समृद्धि में वृद्धि होती है। यह कथा बहुत पवित्र मानी जाती है इसलिए इस दिन हरतालिक तीज की कथा अवश्य सुननी व पढ़नी चाहिए…

हरतालिका तीज की कथा

जिनके दिव्य केशों पर आकं के फूलों की माला शोभा देती है और जिन भगवान शंकर के मस्तक पर चंद्र और गले में मुंडों की माला पड़ी हुई है, जो माता पार्वती दिव्य वस्त्रों से तथा भगवान शंकर दिगंबर वेष धारण किए हैं।कैलाश पर्वत के सुंदर शिखर पर माता पार्वतीजी ने महादेवजी से पूछा- हे महेश्वर! मुझसे आप वह गुप्त से गुप्त बातें बताइए, जो सभी के लिए सरल और महान फल देने वाली है।हे नाथ! यदि आप मुझसे प्रसन्न हैं तो आप मुझे दर्शन दें। हे जगत नाथ! आप आदि, मध्य और अंत रहित हैं, आपकी माया का कोई पार नहीं है। आपको मैंने किस भांति प्राप्त किया है? कौन से व्रत, तप या दान के पुण्य फल से आप मुझको वर रूप में मिले?महादेवजी बोले- हे देवी! मैं आपके सामने उस व्रत के बारे में कहता हूं, जो परम गुप्त है, जैसे तारागणों में चंद्रमा और ग्रहों में सूर्य, वर्णों में ब्राह्मण, देवताओं में गंगा, पुराणों में महाभारत, वेदों में साम और इंद्रियों में मन श्रेष्ठ है। वैसे ही पुराण और वेद सबमें इसका वर्णन आया है। जिसके प्रभाव से तुमको मेरा आधा आसन प्राप्त हुआ है। हे प्रिये! उसी का मैं तुमसे वर्णन करता हूं, सुनो- भाद्रपद (भादों) मास के शुक्ल पक्ष की हस्त नक्षत्र के दिन इस व्रत का अनुष्ठान मात्र करने से सभी पापों का नाश हो जाता है। तुमने पहले हिमालय पर्वत पर इसी महान व्रत को किया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!