Breaking

शाजी थामस

कोरबा: बीते दिनों केंद्रीय कोयला मंत्री किशन रेड्डी का एशिया की सबसे बड़ी खदान गेवरा का दौरा कई चर्चाओं का विषय बन गया। जहां एक ओर खदान प्रबंधन ने मंत्री जी के स्वागत-सत्कार में कोई कसर नहीं छोड़ी, वहीं दूसरी ओर स्थानीय मीडिया को नज़रअंदाज़ किए जाने पर नाराजगी साफ देखी गई।

करीब 6 घंटे तक मंत्री जी गेवरा खदान परिसर में मौजूद रहे, इस दौरान व्यू प्वाइंट, गेवरा हाउस सहित अन्य कई स्थानों का निरीक्षण किया गया। प्रशासन और साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) के अधिकारियों ने मंत्री जी को विशेष तैयारियों के साथ खदान का भ्रमण कराया।

जानकारी के अनुसार, मंत्री जी के आगमन से पहले खदान क्षेत्र में भारी साफ-सफाई, पुताई और सौंदर्यीकरण के लिए करोड़ों रुपये के स्पॉट टेंडर जारी किए गए। स्थानीय सूत्रों का आरोप है कि इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर कमीशनखोरी की भी संभावना है।

सबसे अहम बात यह रही कि पूरे कार्यक्रम के दौरान न तो स्थानीय पत्रकारों को कोई सूचना दी गई और न ही मंत्री जी ने मीडिया से किसी प्रकार की बातचीत की। पत्रकारों को न कार्यक्रम की जानकारी दी गई, न कवरेज का अवसर। इस पर सवाल उठना लाज़मी है कि आखिर मीडिया को दूर क्यों रखा गया?कयास लगाए जा रहे हैं कि मंत्री जी से कोरबा जिले में संचालित खदानों में व्याप्त भ्रष्टाचार, भू-अर्जन मुआवजा, विस्थापन, सीएसआर निर्माण कार्यों में अनियमितता और अन्य ज्वलंत मुद्दों पर सवाल न किए जाएं, इसलिए केवल वही दृश्य उन्हें दिखाए गए जो अधिकारी दिखाना चाहते थे।

स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि यह सुशासन नहीं, बल्कि साक्षात सूचना पर नियंत्रण है। जब खदानों की समस्याएं, विस्थापितों का दर्द, प्रबंधन की अनदेखी जैसे मुद्दे मीडिया उठाता है, तो उन्हें दरकिनार करना लोकतंत्र की आत्मा पर कुठाराघात है।

मीडिया चाहे तो अपनी बात प्रधानमंत्री तक भी पहुंचा सकता है—यह कोई साधारण माध्यम नहीं। ऐसे में केंद्रीय मंत्री का यह एकतरफा दौरा केवल दिखावा बनकर रह गया, जिससे न स्थानीय लोगों को कोई राहत मिली और न ही पारदर्शिता की उम्मीद।

क्या इस दौरे से कोरबा की खदानों की हकीकत बदलेगी या यह सिर्फ एक औपचारिकता थी? जवाब भविष्य के गर्भ में है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!