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शाजी थामस

जांजगीर-चांपा – छत्तीसगढ़ के एकमात्र मगरमच्छ उद्यान कोटमीसोनार क्रोकोडाइल पार्क में पहली बार वैज्ञानिक पद्धति से मगरमच्छों का सर्वेक्षण किया जा रहा है। जांजगीर-चांपा वनमंडल द्वारा नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के सहयोग से किए जा रहे इस अध्ययन में ड्रोन तकनीक और ऑक्युलर सर्वेक्षण (दृष्टि आधारित गणना) का उपयोग किया जा रहा है।

इस सर्वेक्षण का उद्देश्य मगरमच्छों की सही संख्या का आकलन करने के साथ-साथ उनके आवासीय व्यवहार को समझना है, जिससे उनके संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकें।

स्थानीय लोगों और पर्यटकों में जागरूकता बढ़ाने की पहल

इस सर्वेक्षण के साथ-साथ कोटमीसोनार क्रोकोडाइल पार्क में पहली बार थिएटर आधारित जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। उद्यान के व्याख्या केंद्र (इंटरप्रिटेशन सेंटर) में पर्यटकों और स्थानीय लोगों को मगरमच्छ संरक्षण की जानकारी दी जा रही है। इसके तहत ड्रोन कैमरों से लिए गए हवाई दृश्य दिखाए जा रहे हैं, जिससे लोगों को पक्षियों की दृष्टि से उद्यान की खूबसूरती और मगरमच्छों के व्यवहार को देखने का अनूठा अनुभव मिल रहा है।

वन्यजीव संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक कदम

यह वैज्ञानिक सर्वेक्षण मगरमच्छों के संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास के बेहतर प्रबंधन के लिए एक ऐतिहासिक पहल है। इस अध्ययन से न केवल मगरमच्छों की सटीक संख्या का पता चलेगा, बल्कि उनके आवास और संरक्षण की जरूरतों पर भी अध्ययन किया जा सकेगा।इस पहल से स्थानीय समुदाय और पर्यटकों में मगरमच्छों के संरक्षण को लेकर जागरूकता बढ़ेगी, जिससे वन्यजीवों के प्रति सह-अस्तित्व की भावना विकसित होगी। नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी और जांजगीर-चांपा वनमंडल की इस सराहनीय पहल से मगरमच्छों की सुरक्षा और उनके प्राकृतिक आवास को संरक्षित करने में मदद मिलेगी।

इस महत्वपूर्ण सर्वेक्षण में नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष एम. सूरज, रेस्क्यू हेड जितेंद्र सारथी, सीनियर बायोलॉजिस्ट मयंक बक्शी और सिद्धांत जैन, फील्ड रिसर्चर भूपेंद्र जगत की अहम भूमिका रही।

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