शाजी थामस
छत्तीसगढ़ रायपुर/रायपुर पुलिस की कार्रवाई पर विवाद खड़ा हो गया है, जब नागपुर-कोलकाता इंडिगो फ्लाइट में बम की सूचना देने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया और बाद में पता चला कि वह केंद्रीय गुप्तचर विभाग (आईबी) का अधिकारी हैं। गिरफ्तार व्यक्ति का नाम अनिमेष मंडल है, जो नागपुर में डिप्टी इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं।
14 नवंबर को, अनिमेष मंडल इंडिगो की फ्लाइट में सफर कर रहे थे। यात्रा के दौरान उन्हें विमान में बम होने की सूचना मिली, जिसके बाद उन्होंने तुरंत क्रू मेंबर को अलर्ट किया। क्रू ने यह सूचना पायलट तक पहुंचाई, और पायलट ने विमान की रायपुर एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग कराई।
लैंडिंग के तुरंत बाद रायपुर पुलिस ने अनिमेष मंडल को गिरफ्तार कर लिया। अनिमेष ने अपनी पहचान जाहिर करते हुए आईबी का परिचय पत्र दिखाया, लेकिन पुलिस ने बिना गहन जांच के उन्हें हिरासत में ले लिया।
अनिमेष मंडल के परिवार ने उनके आईबी में कार्यरत होने के प्रमाण कोर्ट में पेश किए हैं। उनके वरिष्ठ वकील सैयद फैसल रिजवी ने कहा कि अनिमेष को जल्द बाइज्जत रिहा किया जाएगा।
वकील ने रायपुर पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह इस मामले को हाईकोर्ट तक ले जाएंगे।
मामले को लेकर रायपुर पुलिस की मुश्किलें इसलिए बढ़ गई हैं, क्योंकि संबंधित कानून के तहत इन मामलों की सुनवाई विशेष अदालत में होती है। छत्तीसगढ़ में ऐसी कोई विशेष अदालत नहीं है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया और भी जटिल हो गई है।
इस घटना ने रायपुर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रमुख सवाल यह है कि जब अनिमेष मंडल ने अपना परिचय पत्र प्रस्तुत किया था, तो बिना उचित जांच किए गिरफ्तारी क्यों की गई? इस मामले ने यह भी उजागर किया है कि संवेदनशील परिस्थितियों में निर्णय लेने में पुलिस को सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
अनिमेष मंडल के परिवार और उनके वकील द्वारा दबाव बनाए जाने के बाद पुलिस पर जल्दबाजी में की गई कार्रवाई का स्पष्टीकरण देने का दबाव है। इस मामले ने प्रशासनिक और कानूनी प्रक्रिया में सुधार की जरूरत को उजागर किया है।