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शाजी थामस

दीपका कोरबा/एसईसीएल दीपका विस्तार परियोजना के तहत मलगांव और झिंगटपुर ग्राम पंचायत का अधिग्रहण किया गया है, जिसके चलते आगामी छह माह में यह क्षेत्र वीरान हो जाएगा। हालांकि, मलगांव के प्रभावित ग्रामीणों ने मुआवजा और पुनर्वास को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है।

ग्रामीणों का आरोप,उचित मुआवजा और रोजगार नहीं मिला।

मलगांव निवासी दिनेश जायसवाल खसरा नंबर 134/9 के मालिक ने अपनी शिकायत में बताया कि उनकी 0.200 हेक्टेयर निजी भूमि, पक्का मकान, पेड़-पौधे, बगीचा, कुंआ, बोर और 15 एचपी की आरा मशीन परियोजना में अधिग्रहित की गई है। इसके बावजूद उन्हें न तो भूमि का उचित मुआवजा मिला है, न ही बसावट और रोजगार के एवज में कोई सहायता प्रदान की गई है।

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शिकायतकर्ता ने सोलेशियम (100%) और मुआवजा राशि की मांग के साथ परियोजना पर आपत्ति जताई है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, शिकायतकर्ता को मुआवजे की प्रक्रिया पूरी करने के लिए सहमति पत्र प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था। लेकिन शिकायतकर्ता ने अब तक सहमति पत्र जमा नहीं किया है, जिसके चलते मुआवजे का वितरण रुका हुआ है।

प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि सहमति पत्र से पहले उनकी मांगों को सुना जाए और मुआवजे की राशि को उचित तरीके से वितरित किया जाए। उन्होंने परियोजना प्रबंधन और जिला प्रशासन से समस्या का शीघ्र समाधान करने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक मुआवजा, पुनर्वास और रोजगार का उचित प्रावधान नहीं किया जाता, तब तक वे अधिग्रहण प्रक्रिया का विरोध जारी रखेंगे।

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हम आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 126 (2) के तहत ग्राम पंचायत को विस्थापित करने का प्रावधान है। ग्रामीणों का कहना है कि कानूनन उनके अधिकारों की अनदेखी की जा रही है।

प्रभावित परिवारों और जनप्रतिनिधियों ने मामले की जांच और पारदर्शिता की मांग की है। उनका कहना है कि अगर समय पर उनकी समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

ग्रामीणों का कहना है कि परियोजना के लिए उनका विस्थापन तय है, लेकिन प्रशासन को पहले उनके मुआवजा, पुनर्वास और रोजगार जैसी मांगों को प्राथमिकता देनी चाहिए। अन्यथा यह मामला और बड़ा रूप ले सकता है।अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले को कैसे सुलझाता है और प्रभावित परिवारों की समस्याओं का समाधान कब तक होता है।

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