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कोरबा : बालको के सघन वन क्षेत्र में साल वन पर बोरर प्रकोप का खतरा मंडरा रहा है। वन विभाग ने कीट से प्रभावित 1500 वृक्ष चिन्हित किए हैं। जिनमें से 1000 पेड़ काटे जाने का प्रस्ताव वन विभाग ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को प्रेषित किया था। स्वीकृति मिलते ही पखवाड़े भर के भीतर 300 पेड़ों की कटाई की जा चुकी है।

बालको वन परिक्षेत्र के केशलपुर के जंगल में हरे-भरे वृक्षों के बीच सूखे साल के वृक्षों को देखा जा सकता है। दरअसल इस क्षेत्र में बीते वर्ष बोरर कीट के सक्रिय होने के संकेत वन विभाग को मिल गया था। इसके साथ ही इसे नियंत्रित करने की योजना भी बनाई गई। सबसे पहले सर्वे कर सूख चुके साल वृक्षों की गणना की गई। इसके बाद बोरर कीट को नष्ट करने के लिए दवा का छिड़काव के साथ पेड़ों के उन हिस्सों को ब्लाक किया गया जहां से बोरर कीट प्रवेश किए थे। इस प्रयास से बीमारी को नियंत्रित तो कर लिया गया पर पूरी तरह से छुटकरा नहीं मिल सका। अंतत: वन विभाग के अधिकारियों ने गहन निरीक्षण के बाद पूरी तरह से बीमारी की चपेट में आकर सूख चुके 1000 पेड़ों को काटने का निर्णय लिया।

यह कदम नहीं उठाए जाने पर और तेजी से बीमारी फैलने की आशंका बनी हुई थी। कोरबा के तात्कालीन डीएफओ प्रियंका पांडेय ने वर्ष 2022-23 के अप्रैल माह में पेडों की कटाई की स्वीकृति के लिए छत्तीसगढ़ शासान को भेजा और इसे केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को स्वीकृति के लिए प्रेषित कर दिया। लंबी प्रक्रिया के बाद वर्ष 2023-24 में पेड़ों को काटने की स्वीकृति मिलने पर इसकी प्रक्रिया मैदानी स्तर पर शुरू कर दी गई है। कोरबा डीएफओ अरविंद पीएम का कहना है कि आने वाले तीन माह के अंदर पेड़ों की कटाई का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इसके लिए वन कर्मियों की टीम का गठन कर विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। वन विभाग के अधिकारी मजदूर लगाकर अपनी निगरानी में सावधानी पूर्वक साल बोरर से प्रभावित सूखे पेड़ों को कटवा रहे।

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