शाजी थामस
दीपिका में नगरी निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। आज ब्लॉक कांग्रेस कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई है, जिसमें पूर्व विधायक पुरुषोत्तम कंवर और कटघोरा विधानसभा प्रभारी हरीश परसाई के नेतृत्व में रणनीति पर मंथन किया जाएगा। बैठक में वार्ड समिति के सदस्य, ब्लॉक कांग्रेस के पदाधिकारी, और अन्य मोर्चा संगठनों के नेता मौजूद रहे। इस दौरान आगामी नगरी निकाय चुनावों में पार्टी की स्थिति मजबूत करने और चुनावी रणनीति पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
भाजपा में मंडल अध्यक्ष पद के लिए दावेदारों की होड़।
दूसरी ओर, भाजपा में मंडल अध्यक्ष के चुनाव को लेकर गहमागहमी तेज हो गई है। पार्टी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि केवल 45 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति ही इस पद के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस नियम के चलते कई वरिष्ठ दावेदार रेस से बाहर हो गए हैं, लेकिन युवा नेताओं की लंबी कतार देखी जा रही है।दीपिका क्षेत्र में भाजपा के दिग्गज नेताओं के करीबी अपने उम्मीदवारों को मंडल अध्यक्ष पद के लिए सबसे उपयुक्त बता रहे हैं। वहीं, जमीनी कार्यकर्ता भी खुद को इस पद के योग्य साबित करने के प्रयास में जुटे हुए हैं। मीडिया, व्हाट्सएप ग्रुप, और संगठन के नेताओं से संपर्क साधकर दावेदार अपनी दावेदारी को मजबूत करने में लगे हैं।
आरक्षण प्रक्रिया से अध्यक्ष पार्षद की भूमिका होगी स्पष्ट।
नगरी निकाय चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन अभी तक आरक्षण प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। पालिका अध्यक्ष और वार्डों के पार्षदों की भूमिका आरक्षण के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी। सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की नजरें इस प्रक्रिया पर टिकी हुई हैं, क्योंकि इससे चुनावी समीकरणों पर गहरा असर पड़ेगा।
भाजपा और कांग्रेस के सामने जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी की चुनौती
इस बार नगरी निकाय चुनाव केवल भाजपा और कांग्रेस के बीच की लड़ाई नहीं होगी। जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी भी मैदान में उतर रही है और अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। इससे दोनों प्रमुख दलों के लिए चुनावी किला फतह करना आसान नहीं रहेगा।जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के उभरते जनाधार और जमीनी स्तर पर पकड़ ने राजनीतिक समीकरणों को और पेचीदा बना दिया है। क्षेत्र में पार्टी के मजबूत प्रत्याशियों के कारण चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय होता दिख रहा है।
आरक्षण के बाद बदलेगा चुनावी परिदृश्य
आरक्षण प्रक्रिया पूरी होने के बाद राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को नए सिरे से तय करेंगे। भाजपा, कांग्रेस, और जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी सभी ने अपने संभावित प्रत्याशियों को तैयार रखा है, लेकिन अंतिम दावेदारी का फैसला आरक्षण के आधार पर ही होगा।आगामी चुनाव में हर पार्टी को अपने मजबूत संगठन, जनसंपर्क, और रणनीति पर ध्यान देना होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस त्रिकोणीय मुकाबले में किसका पलड़ा भारी रहता है।