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शाजी थॉमस/कोयलांचल/कोरबा/छठ पर्व धूमधाम से सभी स्थानों में मनाया जा रहा है 17 सितंबर से शुरू हुई इस पर्व का रविवार को तीसरा दिन है आज अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य घाटों पर दिया गया दीपका के बड़े शिव मंदिर में छठ व्रतियों द्वारा डूबते सूरज को अर्घ्य दिया गया।
आरोग्य और सुख समृद्धि की कामना से किया जाने वाला छठ पर्व दीपका और आसपास के इलाके में आस्था पूर्वक मनाया गया। यहां के अनेक घाटों पर बड़ी संख्या में व्रत करने वालों के साथ-साथ उनके परिजनों ने उपस्थिति दर्ज कराई। कार्तिक छठ को भगवान सूर्य को प्रथम अर्घ्य दिया गया। पानी के भीतर खड़े होकर व्रती महिलाओं ने ईश्वर से सभी के लिए मंगल कामनाएं की।
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छठ पर्व पर महिलाएं नदी या तालाबों के किनारे सूर्य के अर्घ्य देकर पूजा करती है।नदी या तालाबों के किनारे पूजा करने की ये परंपरा कई सालों से चली आ रही है।
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ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल में छठ पर्व से एक महीना पहले ही लोग नदी के किनारे घाटों पर कल्पवास करते थे, और यहीं कार्तिक मास की साधना करते हुए छठ महापर्व मनाते थे. नदी घाटों पर ही गेहूं को धोकर सुखाकर प्रसाद तैयार किया जाता था। लेकिन आज के दौर में स्थिति बदल गई है।लोग अब छठ घाट पर अर्घ्य देने जाते है।लेकिन अब भी कुछ छठ व्रती छठ घाटों पर रात भर रुक कर जागरण करते हैं। ऐसा करने के पीछे मन्नत पूरा होना एक कारण है।
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